प्राकृतिक अवस्था के विषय में हॉब्स के विचार-
राज्य संस्था के अस्तित्व से पूर्व की अवस्था को हॉब्स ने प्राकृतिक अवस्था या पूर्व सामाजिक दशा कहा है|
Note-मैकफरसन के अनुसार हॉब्स ने प्राकृतिक अवस्था शब्द का प्रयोग नहीं किया है, बल्कि इससे मिलता जुलता शब्द ‘मानव जाति की प्राकृतिक स्थिति’ का प्रयोग किया है|
इस अवस्था में मानव जीवन नारकीय, हिंसा प्रधान, असहनीय था|
इस अवस्था में सार्वजनिक शक्ति या सत्ता का अभाव था, जो उनको नियंत्रित व भयभीत कर सके|
यह ऐसे युद्ध की अवस्था थी, जो प्रत्येक मनुष्य का प्रत्येक मनुष्य के साथ युद्ध था|
इस अवस्था में उद्योग, संस्कृति, नो-चालन, भवन निर्माण, ज्ञान, यातायात के साधनों का अभाव था तथा मनुष्य का जीवन एकाकी, दीन, अपवित्र, पाशविक, क्षणिक था|
यह अराजक अवस्था थी, जिसमें जिसकी लाठी उसकी भैंस का सिद्धांत प्रभावशील था|
इस अवस्था में नैतिकता का सर्वथा अभाव था, उचित- अनुचित, न्याय-अन्याय, सत्य-असत्य का ज्ञान नहीं था|
नियम- कानूनों के अभाव में शक्ति, धोखा, बल प्रयोग, प्रतिज्ञा भंग का बोलबाला था|
इस अवस्था में मनुष्य को हिंसात्मक मृत्यु का भय सदैव रहता था|
इस अवस्था में व्यक्तिक संपत्ति व नैतिकता का अभाव था|
हॉब्स “हो सकता है ऐसी स्थिति सारे विश्व में न हो, लेकिन अमेरिका में जरूर है, जहां बर्बर लोग बड़े क्रूर तरीके से रहते हैं|” अर्थात प्राकृतिक अवस्था एक काल्पनिक स्थिति है|
Note- प्राकृतिक अवस्था समझौते से पूर्व की अवस्था है| प्राकृतिक अवस्था समाज पूर्व व राज्य पूर्व की अवस्था है|
जॉन रॉल्स “थॉमस हॉब्स की प्राकृतिक अवस्था में जो संघर्ष है, वह ‘कैदी की दुविधा’ (Prisoner’s Dilemma) के समान है|”
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