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लॉक का सामाजिक समझौता/ Locke's social contract || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

     लॉक का सामाजिक समझौता-

    • हॉब्स की तरह लॉक भी राज्य की उत्पत्ति को सामाजिक समझौते द्वारा बताता है| लेकिन हॉब्स ने प्राकृतिक अवस्था के भयपूर्ण माहौल को समझौते का कारण बताया है., वही लॉक ने प्राकृतिक अवस्था की असुविधा को समझौते का कारण बताया है|


    • प्राकृतिक अवस्था की असुविधाएं- लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में तीन असुविधाएं थी-

    1. प्राकृतिक नियम की स्पष्ट परिभाषा नहीं थी|

    2. प्राकृतिक नियमों की व्याख्या करने वाला कोई अधिकारी नहीं था|

    3. प्राकृतिक नियमों को लागू करने वाला कोई भी नहीं था|


    • इसलिए प्राकृतिक असुविधाओं से राहत पाने के लिए मनुष्य ने न्यूनतम प्रतिरोध का मार्ग अपनाते हुए समझौते के द्वारा राज्य का निर्माण किया|


    • समझौते का स्वरूप

    लॉक के अनुसार व्यक्तियों ने दो समझौते किए-

    1. प्रथम समझौता

    • लॉक की प्राकृतिक अवस्था में समाज था| प्रथम समझौते से मनुष्यो ने प्राकृतिक अवस्था को समाप्त करके राज्य या नागरिक समाज की स्थापना की| राज्य को लॉक नागरिक या (Civil Society) कहता है| 

    • यह समझौता समाज के सभी व्यक्तियों का सभी व्यक्तियों के साथ किया गया|

    • इस समझौते का स्वरूप सामाजिक था| इसलिए समझौते के द्वारा कुछ अधिकार व्यक्तियों ने नागरिक समाज को सौंप दिए|


    1. द्वितीय समझौता- 

    • यह समझौता लोग सामूहिक रूप से राज्य या नागरिक समाज के साथ करते हैं| 

    • यह शासन-विषयक समझौता था| 

    • इस समझौते में मूल समझौते में स्वीकार की गई शर्तों को लागू करने के लिए सरकार की स्थापना की जाती है| सरकार की स्थापना एक ट्रस्ट के रूप में होती है| 

    • इस प्रकार लॉक राज्य व सरकार में भेद करता है| 


    • समझौते द्वारा सरकार की स्थापना हो जाने के बाद भी सरकार पर नागरिक समाज निगरानी रखता है| लॉक के शब्दों में “समुदाय ऐसा ग्रहस्वामी है जो घर की रखवाली के लिए पहरेदार रखता है, फिर स्वयं जाग-जागकर यह देखता रहता है कि कहीं वह पहरेदार सो तो नहीं गया है|”


    Note- सेबाइन व वाहन दोहरा समझौता बताते हैं|


    Note- कुछ लेखक लॉक के संविदा को दोहरा नहीं मानते हैं| प्रो. बार्कर के अनुसार “मानव इतिहास में एक ही सामाजिक अनुबंध हुआ, राजनीतिक स्वरूप उसका उपांग था|”


    • लॉक के अनुसार सामाजिक समझौते के तीन चरण होंगे-

    1. प्रथम चरण- नागरिक समाज या समुदाय की स्थापना की जाएगी

    2. द्वितीय चरण- सरकार व सरकारी संस्थाओं की स्थापना की जाएगी

    3. तृतीय चरण- कर लगाने वाले प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी (यह प्राधिकरण इसलिए आवश्यक है क्योंकि उन लोगों की सहमति के बिना संपत्ति को जब्त या पुनर्वितरित नहीं कर सकती है जिनकी यह संपत्ति है)


    समझौते की विशेषताएं-

    1. लॉक का समझौता सर्वसहमति (सर्व सहमति का सिद्धांत) से संपन्न हुआ, यह जन इच्छा पर आधारित था| कोई भी व्यक्ति इस नवीन समाज में सहमति के बिना प्रविष्ट नहीं हो सकता है|

    2. लॉक के समझौते का दोहरा स्वरूप था|

    3. समझौते के बाद भी जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार ये तीनों प्राकृतिक अधिकार व्यक्ति के पास सुरक्षित रहते हैं|

    4. व्यक्ति केवल प्राकृतिक कानून की व्याख्या करने, उसे क्रियान्वित करने और भंग करने वाले को दंड देने का अधिकार ही राज्य को सोपंता है|

    5. समझौते से व्यक्ति स्वतंत्रता पर वही बंधन स्वीकार किया जा सकता है, जो उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक हो|

    6. व्यक्ति ने समझौते के द्वारा अपने अधिकार संपूर्ण समुदाय (नागरिक समाज) को सोपें हैं, ना कि व्यक्ति विशेष को|

    7. समझौते से उत्पन्न नागरिक समाज असीमित अधिकार संपन्न, सर्व शक्तिशाली, निरकुंश हॉब्स के लेवियाथन जैसा नहीं था| इस पर व्यक्ति के अदेय अधिकारों तथा प्राकृतिक नियमों का बंधन था|

    8. समझौते को प्रत्येक पीढ़ी द्वारा पुनः स्वीकृत किया जाना आवश्यक था|

    9. लॉक का समझौता स्थायी था, जो समाप्त नहीं हो सकता था|

    10. यह बहुमत के शासन पर आधारित था| 

    11. अगर सरकार समझौते के अनुसार कार्य नहीं करती है, तो उसके विरुद्ध क्रांति करके बदला जा सकता है|

    12. जॉन लॉक के अनुसार समझौता भंग या क्रांति से वापस प्राकृतिक अवस्था नहीं आएगी, बल्कि सरकार बदलेगी| 

    13. इस समझौते से केवल प्राकृतिक अवस्था का अंत होता है, प्राकृतिक कानून का अंत नहीं होता है|

    14. राजनीतिक समाज में प्रवेश लेते समय प्राकृतिक मनुष्य ने अपना कार्यकारी और निर्णय लेने का अधिकार खो दिया था|  

    15. इस अनुबंध की मुख्य विशेषता यह है कि प्रत्येक व्यक्ति बहुमत के निर्णय को स्वीकार करेगा और बहुमत के निर्णय को पूरे समाज का निर्णय मानेगा| 

    16. लॉक का सामाजिक समझौता दार्शनिक होने के साथ ऐतिहासिक भी है, जबकि हॉब्स का सामाजिक समझौता केवल दार्शनिक है, क्योंकि लॉक  कहता है कि “इस प्रकार का पूरा संसार आरंभ में अमेरिका था” तथा लॉक मेफ्लावर समझौते का उदाहरण देते हैं लेकिन इस तरह का कोई ऐतिहासिक उदाहरण हॉब्स नहीं देता है| 


    मेफ्लावर समझौता 1620- यह समझौता मेफ्लावर जहाज पर ब्रिटेन सम्राट जेम्स प्रथम के धार्मिक अत्याचारों से बचने के लिए अमेरिका जा रहे प्यूरिटन्स ने किया था| इस दस्तावेज द्वारा संसार में प्रथम बार लिखित व संवैधानिक सरकार का ढांचा प्रकट हुआ, जो बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका बना|


    Note- लॉक के अनुसार समाज तो प्राकृतिक है, जो प्राकृतिक अवस्था में था| लेकिन राज्य (नागरिक समाज) व सरकार कृत्रिम है| 


    • डनिंग “लॉक के सामाजिक संविदा संबंधी विचारों में ऐसी कोई बात नहीं है, जो उसके पूर्ववर्ती दार्शनिकों के द्वारा प्रतिपादित न की गई हो|”

    • डनिंग “लॉक द्वारा अनुमानित प्राकृतिक अवस्था राज्य से पूर्व की थी, समाज से पूर्व कि नहीं|”

    • वेपर “लॉक का सामाजिक समझौते का विचार, हॉब्स की अपेक्षा, रूसो के विचार से अधिक मिलता है| लॉक व रूसो दोनों का मानना है कि समझौते के बाद भी जनता के सर्वोच्च अधिकारों में कोई कमी नहीं आती है|”



    लॉक के राज्य की विशेषताएं- 

    1. राज्य कृत्रिम संस्था है| राज्य साधन है तथा व्यक्ति साध्य है|

    2. राज्य की उत्पत्ति का आधार जन सहमति है|

    3. सरकार, नागरिक समाज (राज्य) का कार्यकारी अंग है| सरकार पर व्यक्ति के अदेय अधिकारों का बंधन है अतः सीमित सरकार है|

    4. राज्य की शक्ति कानून द्वारा नियंत्रित है, अतः राज्य सीमित व मर्यादित है, निरकुंश नहीं है|

    5. लॉक वैधानिक राज्य की अवधारणा का प्रतिपादन करता है, जिसके अंतर्गत विधि के शासन को अपनाया गया है, मनमाने शासन को नहीं|

    6. लॉक का राज्य धार्मिक सहिष्णु राज्य है, जो धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है|

    7. लॉक का राज्य एक निषेधात्मक या अहस्तक्षेप राज्य है| राज्य केवल उन्हीं असुविधाओं को दूर करने की कोशिश करता है जो प्राकृतिक अवस्था में थी, इसके अलावा राज्य व्यक्ति के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करता है|

    • लॉक- “जहां कानून समाप्त होता है, वहां से अत्याचार प्रारंभ होता है|”



    सरकार के कार्य और उनकी सीमाएं-

    • लॉक के अनुसार “मनुष्यों के राज्य में संगठित होने तथा अपने आपको सरकार के अधीन रखने का मुख्य उद्देश्य अपनी संपत्ति की रक्षा करना है|” यहां लॉक संपत्ति में भौतिक संपदा के अलावा जीवन, स्वास्थ्य एवं स्वतंत्रता को सम्मिलित करता है|


    • लॉक के अनुसार व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति की रक्षा के लिए सरकार के तीन कार्य हैं-

    1. व्यवस्थापिका संबंधी कार्य- इसमें न्याय एवं अन्याय तथा संपूर्ण विवादों के निर्णय के मापदंड निश्चित करने का कार्य अर्थात कानून या नियम बनाने का कार्य शामिल होता है|


    1. कार्यपालिका संबंधी कार्य- निम्न कार्य है-

    • समाज में नागरिकों के हितों की रक्षा करना, युद्ध की घोषणा करना, शांति स्थापित करना, अन्य राज्यों से संधि करना आदि|


    1. न्यायिक कार्य- स्थापित कानूनों के अनुसार व्यक्तियों के पारस्परिक झगड़ों पर निष्पक्ष निर्णय देना|


    लॉक ने शक्ति पृथक्करण की बात की है-

    • लॉक ने राज्य की तीन शक्तियां बतायी है- 

    1. पहली शक्ति विधायिका

    2. दूसरी कार्यपालिका (लॉक कार्यकारिणी व न्यायपालिका में अंतर नहीं करता)

    3. तीसरी शक्ति फैडरेटिव या संघात्मक (यह शक्ति अंतरराष्ट्रीय संबंधों का संचालन करती थी)


    • लॉक ने व्यवस्थापिका और कार्यपालिका को पृथक मानते हुए कार्यपालिका को व्यवस्थापिका के अधीन बताया है|

    • लॉक न्यायपालिका को व्यवस्थापिका से प्रथक रखता है, जबकि कार्यपालिका व न्यायिक कार्यों को अलग मानते हुए भी एक अंग को सौंपने के पक्ष में है|

    • लॉक ने व्यवस्थापिका को सर्वोच्च माना है, लेकिन निरकुंश नहीं क्योंकि व्यवस्थापिका से ऊपर जनता है|

    • लॉक ने नागरिक समाज तथा सरकार के पारस्परिक संबंध बताने के लिए ट्रस्ट शब्द का प्रयोग किया है| जन-कल्याण के लिए स्थापित सरकार ट्रस्ट की अवहेलना करने पर पदच्युत की जा सकती है|

    • हरमन “लॉक की इस ट्रस्ट की धारणा के अनुसार सरकार को जनता के समान अधिकार प्राप्त नहीं है, सरकार के तो जनता के प्रति केवल कर्तव्य ही हैं|”

    • वाहन “संविदा के स्थान पर ट्रस्ट की धारणा को अपनाकर लॉक न केवल सरकार के ऊपर जनता के नियंत्रण की व्यवस्था करता है, बल्कि एक उससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात की प्रतिस्थापना करता है और वह है, अनुभव के अनुसार उस नियंत्रण का दिन प्रतिदिन प्रसारण|”


    • सरकार के रूप-

    • समझौते के माध्यम से शक्ति एक ऐसे बहुमत को दे दी जाती है, जो सबकी ओर से फैसले करेगा| 

    • बहुमत या समुदाय, सत्ता शक्ति का किस प्रकार प्रयोग करता है, इस आधार पर लॉक ने सरकार के तीन रूप बताए हैं-

    1. जनतंत्र- इसमें बहुमत, सत्ता शक्ति अपने पास रखता है, या किसी विधायी संस्था सौंप सकता है|

    2. कुलीनतंत्र- इसमें सत्ता शक्ति कुछ गिने-चुने लोगों को सौंप दी जाती है|

    3. संविधानिक राजतंत्र- इसमें सत्ता शक्ति एक व्यक्ति को सौंप दी जाती है| 


    • Note- लॉक की प्राथमिकता एक ऐसे प्रतिनिधि जनतंत्र के लिए है, जिसमें बहुमत ने अपनी विधायी शक्ति को एक निर्वाचित विधानमंडल को समर्पित कर दिया है| 


    Note- लॉक संविधानिक राजतंत्र को सरकार का सर्वोत्तम रूप मानता है|

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