मानव स्वभाव संबंधी लॉक के विचार-
- लॉक के मानव संबंधी विचार हॉब्स के एकदम विपरीत हैं| लॉक ने मानव स्वभाव का सकारात्मक चित्रण किया है| 
- लॉक ने मनुष्य को सामाजिक, नैतिक, बुद्धिमान, विचारशील, परोपकारी, शांतिप्रिय, प्रेम व दया का पोषक प्राणी बताया है| 
- सभी मनुष्य नैतिक दृष्टि से परस्पर समान है, और उन्हें समान अधिकार प्राप्त है| 
- लॉक का मनुष्य नैतिक व्यवस्था को स्वीकार करने वाला तथा उनके अनुसार आचरण करने वाला प्राणी है| 
- लॉक के अनुसार सभी मानवीय क्रियाओं का स्रोत इच्छा है| इच्छा-पूर्ति के लिए मनुष्य कार्य करता है, इच्छा पूरी होने पर सुख तथा इच्छा पूरी न होने पर मनुष्य दुख का अनुभव करता है| मनुष्य सुख प्राप्त करना चाहता है| 
- लॉक ने मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिए गए विवेक अथवा बुद्धि को दैविक प्रकृति स्पूलिंग कहा है| 
- जहां हॉब्स का मनुष्य कोरा जंगली पशु है, वही लॉक का मनुष्य एक नैतिक प्राणी है| हॉब्स का मनुष्य घोर स्वार्थी है, जबकि लॉक का मनुष्य परोपकारी भी है| हॉब्स का मनुष्य झगड़ालू है, जबकि लॉक का मनुष्य शांतिप्रिय है| 
प्राकृतिक अवस्था-
- प्राकृतिक अवस्था के संबंध में भी लॉक के विचार हॉब्स के विपरीत हैं| 
- लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था शांति, स्नेह, सहयोग, सद्भावना, शिष्टाचार व रक्षा की अवस्था थी| 
- इस अवस्था में व्यक्ति समान, स्वतंत्र तथा अपनी-अपनी संपत्ति के मालिक थे| 
- प्राकृतिक अवस्था में सभी मनुष्य समान थे| 
- सभी मनुष्य पूर्ण रूप से स्वतंत्र थे, और अपनी इच्छानुसार जीवन व्यतीत करते थे| 
- लॉक “कोई भी स्वभाव से किसी और के अधीन नहीं है| सभी मानव सामान पैदा होते हैं| प्रत्येक स्वयं का संप्रभु शासक है|” 
- लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में व्यवस्था भी विद्यमान है और यह विवेक द्वारा स्थापित व्यवस्था थी| 
- प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का समष्टिगत सामाजिक जीवन के रूप में एक समाज है| 
- डेनिंग के अनुसार “यह पूर्व सामाजिक अवस्था होने की अपेक्षा, केवल पूर्व राजनीतिक अवस्था है|” 
- Note- लॉक की प्राकृतिक अवस्था केवल पूर्व राजनीतिक है, पूर्व सामाजिक नहीं है, जबकि हॉब्स की प्राकृतिक अवस्था पूर्व राजनीतिक व पूर्व सामाजिक दोनों है| 
प्राकृतिक नियम-
- प्राकृतिक नियम के संबंध में हॉब्स तथा लॉक के विचार में काफी भिन्नता है| 
- वैसे लॉक व हॉब्स दोनों प्राकृतिक नियमों को मानव विवेक की उपज मानते हैं| लेकिन जहां हॉब्स प्राकृतिक नियमों की उत्पत्ति जीवन के असुरक्षित होने पर बताता है, वही लॉक प्राकृतिक अवस्था में शुरुआत से ही प्राकृतिक नियम बताता है| 
- लॉक की प्राकृतिक अवस्था शांतिपूर्ण थी, जो प्राकृतिक नियमों के अनुसार चलती थी| इस अवस्था में प्रत्येक मनुष्य दूसरे मनुष्य के साथ वैसा ही व्यवहार करता था जैसा कि वह अपने साथ चाहता था| 
- प्राकृतिक नियम के अनुसार सब लोग समान और स्वतंत्र हैं, इसलिए किसी को भी दूसरे के जीवन, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता एवं संपत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए| प्राकृतिक नियम शांति और संपूर्ण मानवता की सुरक्षा चाहता है| 
- लॉक ने प्राकृतिक नियमों की नैतिक एवं तर्कमूलक व्याख्या की है| 
प्राकृतिक अधिकार-
- प्राकृतिक अवस्था में प्राप्त अधिकारों को लॉक प्राकृतिक अधिकार कहता है| ये अधिकार सभी व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त थे| 
- लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति को तीन प्राकृतिक अधिकार प्राप्त है- 
- जीवन का अधिकार 
- स्वतंत्रता का अधिकार 
- संपत्ति का अधिकार 
- प्राकृतिक अधिकार असीमित या अनियंत्रित नहीं थे, इन पर प्राकृतिक नियमों का बंधन था|’ 
- लॉक प्राकृतिक अधिकार के रूप में स्वतंत्रता को सार्वभौमिक अधिकार मानते हैं| 
- लॉक ने संपत्ति के अधिकार को सबसे महत्वपूर्ण अधिकार माना है| लॉक का कथन है कि “संपत्ति की सुरक्षा का विचार ही मनुष्यों को यह प्रेरणा देता है कि वह सामाजिक समझौता करें तथा प्राकृतिक अवस्था का त्याग करके नागरिक समाज की स्थापना करें|” 

 
Social Plugin