मैक्यावली की अध्ययन पद्धति-
मैक्यावली ने अध्ययन पद्धति में अनुभववाद और इतिहास का समन्वय किया है| अतः मैक्यावली की अध्ययन पद्धति को ‘अनुभूतिप्रधान ऐतिहासिक ‘अध्ययन पद्धति कहते हैं| इसके साथ ही इनकी अध्ययन पद्धति निरीक्षणात्मक या अवलोकनात्मक भी है|
प्रोफेसर डेनिंग तथा सेबाइन इसकी अध्ययन पद्धति को ऐतिहासिक नहीं मानते हैं|
डेनिंग “मैक्यावली की पद्धति देखने में जितनी ऐतिहासिक लगती है, यथार्थ रूप में उतनी नहीं है| उसके पर्यवेक्षण अधिकतर ऐतिहासिक न होकर अपने समय के थे|”
सेबाइन- सेबाइन के अनुसार मैक्यावली की अध्ययन पद्धति पर्यवेक्षणात्मक थी|
मैक्यावली : अपने युग का शिशु-
मैक्यावली के चिंतन और उसके दर्शन पर उसकी युगीन परिस्थितियों का बहुत अधिक प्रभाव था| इसलिए डेनिंग ने लिखा है कि “यह प्रतिभा- संपन्न फ्लोरेंस निवासी वास्तविक अर्थ में अपने काल का शिशु था|”
सेबाइन ने मैक्यावली को ‘युग परिवर्तन का शिशु’ कहा है|
डब्लू डी जॉन्स “मैक्यावली अपने युग का श्रेष्ठ निचोड़ है|” “मैक्यावली पुनर्जागरण का शिशु था|”
मैक्यावली के प्रत्येक विचार अथवा सिद्धांतों में हमें इटली की तत्कालीन परिस्थितियों की स्पष्ट झलक दिखाई देती है|
मैक्यावली के चिंतन पर निम्न प्रभाव पड़े हैं, जिनके कारण अपने समय का शिशु कहलाया-
पुनर्जागरण (रेनेसा) या ज्ञान का पुनरुत्थान-
पुनर्जागरण यूरोप का एक सांस्कृतिक आंदोलन था, जो 14वी शताब्दी से इटली में शुरू हुआ और बाद में फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और उत्तरी यूरोप तक फैल गया|
पुनर्जागरण ने धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया| पुनर्जागरण के कारण यूरोप के इतिहास में अंधकार युग (Dark age) का अंत हो गया|
मैक्यावली के समय यूरोप में शक्ति, ज्ञान के पुनरुत्थान (पुनर्जागरण) तथा धार्मिक सुधारों की शुरुआत हो चुकी थी| इनकी शुरुआत इटली से हुई थी तथा 15 वीं सर्दी में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा|
मैक्यावली का फ्लोरेंस उस समय पुनरुत्थान का प्रधान नगर और इटली की संस्कृति का माना हुआ केंद्र था|
पुनर्जागरण के काल में साहित्य, कला, दर्शन, राजनीति एवं विज्ञान के क्षेत्र में मध्ययुग के आदर्शों का अंत हो रहा था एवं यूनान तथा रोम के प्राचीन आदर्शों में लोगों की आस्था बढ़ रही थी| राजनीति क्षेत्र में सामंतवाद का अंत होकर राष्ट्रीय राज्य की स्थापना हो रही थी तथा राजनीतिक क्षेत्र में धर्म और नैतिकता, चर्च और बाइबिलवाद के प्रभाव को समाप्त किया जा रहा था| धार्मिक सत्ता तथा नैतिकता की जगह बुद्धि, विवेक, तार्किकता ने ग्रहण कर ली थी|
पुनर्जागरण से राजनीति में मानववाद को बढ़ावा मिला|
मैक्यावली ने राजनीति को तत्वमीमांसा और धर्ममीमांसा के प्रतिमानो से मुक्त करके ऐतिहासिक एवं यथार्थवादी आधार प्रदान किया|
लॉस्की “संपूर्ण पुनर्जागरण मैक्यावली में ही है|”
Note- एच जी वेल्स ने 1910 में न्यू मैक्यावली उपन्यास लिखा है|
पुनरुत्थान का मैक्यावली के चिंतन पर निम्न प्रभाव पड़े-
व्यावहारिकता पर बल देते हुए यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाया|
चर्च और धर्म पर कठोर प्रहार किया और घोषित किया कि मानव स्वयं अपने श्रेष्ठ जीवन का निर्माता है| मैक्यावली कहता है कि “मानव स्वयं ही अपने जीवन का निर्माता है, यह विश्व विकासशील है और इसमें उन्हीं का अस्तित्व रहता है जो अस्तित्व के लिए संघर्ष करते हैं|”
राजनीति को धार्मिकता, नैतिकता, आचार-शास्त्र आदि से पृथक रखा|
मनुष्य अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करता है तथा उसे अपने जीवन तथा धन की सुरक्षा के लिए राजकीय संरक्षण प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है|
राजतंत्र की पुनर्स्थापना-
पुनरुत्थान व मैक्यावली के समय यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन भी हुए| इनके समय सामंतशाही व्यवस्था को समाप्त कर निरकुंश राजतंत्रों की स्थापना हुई|
इंग्लैंड में हेनरी सप्तम, फ्रांस में लुई एकादश, चार्ल्स अष्टम व लुई द्वादश ने, स्पेन में फर्डिनेंड ने निरंकुश राजतंत्र की स्थापना कर ली थी|
जिसका प्रभाव ‘द प्रिंस’ में दिखता है| इस रचना में निरकुंश तथा शक्तिशाली राजतंत्र का समर्थन किया गया है|
इटली का विभाजन-
मैक्यावली के समय इटली पांच राज्यों में बटा हुआ था|
नेपल्स राज्य
मिलान राज्य
रोमन चर्च का क्षेत्र
वेनिस गणराज्य
फ्लोरेंस गणराज्य
इटली के इन राज्यों की राजनीति एक दूसरे से मिलती-जुलती थी तथा प्राचीन नगर राज्यों से भिन्न थी, इसी कारण मैक्यावली ने अपनी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ फ्लोरेंस’ में कहा है कि “तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में फ्लोरेंस का इतिहास अत्यंत मूल्यवान प्रमाणित हो सकता है|”
ये पांचो राज्य आपस में लड़ते-झगड़ते थे, इस वजह से इटली बड़ा ही दुर्बल राज्य बन गया, जिस पर फ्रांस और स्पेन हमेशा आक्रमण करने की ताक में रहते थे|
इस घटना से प्रभावित होकर मैक्यावली ने इटली को एकता के सूत्र में बांधने के लिए शक्तिशाली व निरकुंश राजतंत्र की स्थापना की बात ‘द प्रिंस’ पुस्तक में की|
इसके अलावा इटलीवासी भी दो गुटों में बटे हुए थे-
गिब्बेलींस- यह गुट राजा का समर्थक था|
ग्युल्फस- यह गुट पोप का समर्थक था
इटालियन समाज की दुर्दशा-
मैक्यावली के समय इटालियन समाज में नीति-परायणता, ईमानदारी और देशभक्ति का अभाव था| स्वयं पॉप का चरित्र अपवित्र हो चुका था|
इससे प्रभावित होकर मैक्यावली ने पोप को राज्य के अधीन करने पर बल दिया| शक्तिशाली राष्ट्रीय सेना की आवश्यकता महसूस की|
एक ऐसी शक्तिशाली व निरकुंश सरकार की स्थापना की बात की, जो देश को सबल व एक बनाने के लिए, शांति स्थापित करने के लिए, उचित-अनुचित सभी प्रकार के साधन अपना सकती है|
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि मैक्यावली अपने युग का शिशु था|
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