मैक्यावली के मानव स्वभाव संबंधी विचार-
मैक्यावली मानव स्वभाव के संबंध में सार्वभौमिक अहमवाद की अवधारणा का प्रतिपादन करता है|
मैक्यावली मानवीय स्वभाव का एक पक्षीय व्यक्तिगत निराशावादी चित्रण प्रस्तुत करता है, तथा मानव स्वभाव संबंधी मैक्यावली की धारणा इटली निवासियों तथा राजनीतिज्ञों के व्यवहारों के पर्यवेक्षण पर आधारित है|
प्रिंस के 17 वे अध्याय में मैक्यावली लिखता है कि “सामान्यतः मनुष्यों के बारे में यह कहा जा सकता है, कि वे कृतघ्न, चलायमान, मिथ्यावादी, डरपोक और स्वार्थलिप्सु होते हैं| वे तभी तक आपके बने रहते हैं जब तक की सफलता आपके पास है| वे तभी तक आपके लिए अपना रक्त, संपत्ति, जीवन आदि का बलिदान करने के लिए प्रस्तुत रहेंगे, जब तक इसकी आवश्यकता नहीं है| मनुष्य तब तक किसी से प्रेम करता है, जब तक की उनका स्वार्थ सिद्ध होता है|”
मैक्यावली के अनुसार नएपन की इच्छा, डर और प्रेम मानवीय व्यवहार तय करते हैं|
मैक्यावली का मानना था कि मानव प्रकृति एक जैसी रहती है, जबकि इतिहास विकास और पतन के बीच झूलता रहता है|
जहां प्लेटो व अरस्तु की धारणा है कि शिक्षा के द्वारा मानव को सुधारा व प्रशिक्षित किया जा सकता है जबकि मैक्यावली का मानना है कि व्यक्ति को सुधारा नहीं जा सकता|
मैक्यावली के मत में ‘मानव मस्तिष्क भूतकाल की पूजा करता है, वर्तमान की आलोचना करता है और भविष्य की इच्छा करता है|’
प्रिंस में मैक्यावली लिखता है कि “लोग न केवल डरपोक और अज्ञानी होते हैं, वरण स्वभाव से दुराचारी होते हैं, वे आवश्यकता पड़ने पर ही सच्चरित्र दिखाई पड़ते हैं| लोग अपनी वासनाओं के दास और प्रथम श्रेणी के स्वार्थी होते है|”
मैक्यावली “मनुष्य स्वभाव से ईर्ष्यालु होते हैं और दूसरों को समृद्ध होते नहीं देख सकते|”
मैक्यावली “मनुष्य अपनी इच्छाओं की अपरिमितता की वजह से अपराध कर बैठते हैं|”
इस प्रकार मैक्यावली के अनुसार मनुष्य का स्वभाव निम्न है-
मनुष्य जन्म से बुरा होता है|
मानव प्रकृति से घोर स्वार्थी, विजयाकांक्षी, आलसी, जिम्मेदारियों से कतराने वाला कायर एवं दुष्ट होता है|
मानव दुर्बलता, मूर्खता, दुष्टता का समिश्रण है|
मनुष्य की स्वार्थ भावना और अहंकार उसके सारे क्रियाकलापों का मूल है|
मनुष्य सद्गुण तथा परोपकार जैसी बातों से अपरिचित है|
मनुष्य एक पशु के समान है, जिसमें अंतर्निहित अच्छाई नाममात्र की भी नहीं है|
भय, शक्ति, अभिमान, स्वार्थ ही उसकी प्रेरक शक्तियां हैं|
मनुष्य व्यवहार में धोखेबाज और मन से अस्थिर है|
मनुष्य को केवल धन से प्रेम होता है प्रत्येक व्यक्ति उस दिन का इंतजार करता है जब बाप मरता है और बैल बंटते हैं| मैक्यावली इस संबंध में कहता है कि “मनुष्य पिता की मृत्यु का दुख आसानी से भूल जाता है पर पित्र धन की हानि नहीं भूलते|”
मैक्यावली के मत में मानव नैतिक तर्क के बजाय जुनून के अनुसार कार्य करता है| ऐसे चार जुनून है, जो मानव व्यवहार के नियंत्रित करते हैं-
प्रेम (Love)
घृणा (Hatred)
भय (Fear)
तिरस्कार या अवमानना (Contempt)
मैक्यावली के मत में प्रिंस को प्रेम व भय को तो बढ़ावा देना चाहिए तथा घृणा व अवमानना से बचना चाहिए|
मानव स्वभाव की इस धारणा के आधार पर मैक्यावली कहता है कि एक राजनीतिज्ञ को इस स्वार्थ भावना को ध्यान में रखकर एक मनुष्य की दूसरे मनुष्य से रक्षा करनी चाहिए|
मैक्यावली के अनुसार प्रेम और भय दो विशेष शक्तियां हैं, जिससे मनुष्य से काम निकाला जा सकता है या मनुष्य को वश में किया जा सकता है| जो शासक प्रेम करेगा उसका दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा तथा जो शासक भयंकर (भय पैदा करने वाला) होगा जनता उसकी आज्ञा तुरंत मानेगी| किंतु मैक्यावली के अनुसार शासक द्वारा भय का सहारा लेना सर्वश्रेष्ठ है|
सफल शासक को संपत्ति और जीवन की सुरक्षा की ओर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए|
मैक्यावली का शासक भी एक मानव है जो इन सब दुर्गुणों से युक्त है अतः सच्चा शासक वही है जो शक्ति, धोखा, और पक्षपात लेकर चले तथा साथ ही लोमड़ी की तरह चालाक और शेर की तरह शक्तिशाली हो|
डिसकोर्सेज में भी मानव स्वभाव के इस तरह के विचार मैक्यावली ने व्यक्त किए हैं|
आलोचना-
मैक्यावली ने मानव स्वभाव के एक पक्ष का ही वर्णन किया है, जबकि मानव में सदगुण भी पाए जाते हैं|
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