मैक्यावली के राज्य संबंधी विचार-
- आधुनिक संदर्भ में राज्य शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग मैक्यावली ने किया था| मैक्यावली ने राष्ट्र-राज्य की अवधारणा दी| 
- मैक्यावली ने राज्य के लिए Stato शब्द का प्रयोग किया है| 
- मैक्यावली ने राजनीति को शक्ति के उपार्जन, परिरक्षण और प्रसार की विधि माना है| 
- गेटेल ने अपनी कृति हिस्ट्री ऑफ़ पोलिटिकल थॉट 1953 में लिखा है कि “मैकियावेली को राजनीतिक दर्शन में उतनी रुचि नहीं थी, जितनी व्यावहारिक नीतियों में थी| उसने राज्य की मूल प्रकृति पर उतना ध्यान नहीं दिया जितना शासन के संयंत्र और उसे संचालित करने वाली शक्तियों पर दिया है|” 
- प्रिंस में मैक्यावली ने लिखा है कि “शासक का कार्य प्रजा को इस ढंग से नियंत्रित करना है कि कोई तुम्हें हानि नहीं पहुंचा पाए और ऐसा कोई कारण भी ना हो जिससे वह तुम्हें हानि पहुंचाना चाहे|” 
- मैक्यावली के मत में राजनीति का लक्ष्य सार्वजनिक उपयोगिता है, अर्थात समुदाय की सुरक्षा और कल्याण| 
- मैक्यावली के मत में राजनीति का उद्देश्य एक सुदृढ़ शासन स्थापित करना है| 
- मैक्यावली “स्वतंत्र सहमति राज्य की आधारशिला और छल कपट तथा हिंसा कुछ असाधारण उपचार है|” 
- मैकियावेली “मनुष्य एक राजनीतिक जीव है और गैर राजनीतिक उद्देश्य और मूल्यों की घोषणा करना भी धोखा और धूतर्ता है|” 
- राज्य की उत्पत्ति एवं प्रकृति- 
- मैक्यावली राज्य को कृत्रिम संस्था मानता है, जिसे मनुष्य ने अपनी असुविधा को दूर करने के लिए बनाया है| 
- राज्य की उत्पत्ति का कारण मनुष्य का स्वार्थ है| असभ्य जातियों का संगठन करने के लिए, मनुष्य की धृष्टता और स्वार्थपरता को सीमित एवं नियंत्रित करने के लिए शक्तिशाली व निरकुंश राज्य की उत्पत्ति हुई है| 
- राज्य की उत्पत्ति के विषय में मैक्यावली की मान्यता है कि पहली सरकार तो शायद संयोग से बनी होगी| मनुष्य आरंभ में बिखरी हुई स्थिति में जीते होंगे, किंतु जैसे ही उनकी जनसंख्या बढ़ी जाने-अनजाने में उन्होंने अपनी आत्मरक्षा के लिए शक्तिशाली के सामने समर्पण कर दिया होगा| बाद में शक्तिशाली की आज्ञाकारिता की लोगो को एक आदत बन गई होगी| इस प्रकार तथाकथित न्याय और अपराधिक कानून का उदय सामान्य व्यक्तियों द्वारा शक्तिशाली मनुष्य के सामने समर्पण की मजबूरी का एक पहलू मात्र है| 
- अरस्तु की भांति मैक्यावली भी राज्य को अन्य संस्थाओं से उच्च मानता है| सभी संस्थाएं राज्य के प्रति उत्तरदायी हैं, जबकि राज्य किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं है| मनुष्य का सर्वोच्च कल्याण राज्य में ही हो सकता है, अतः व्यक्ति का कर्तव्य है कि अपने को राज्य की सेवा में सौंप दें| 
- मैक्यावली के अनुसार राज्य परिवर्तनशील है और उसके उत्थान एवं पतन का लंबा इतिहास है| 
- राज्य के प्रकार- 
- मैक्यावली राज्यों को दो भागों में बांटता है- (1) स्वस्थ राज्य (2) अस्वस्थ राज्य 
- स्वस्थ राज्य- 
- यह राज्य युद्धशील होता है और निरंतर संघर्ष में लगा रहता है| यह तेजस्वी और गतिशील होता है यह राज्य एकता का प्रतीक होता है, क्योंकि छोटे-मोटे स्वार्थों के कारण इसके निवासी आपस में लड़ते-झगड़ते नहीं हैं| 
- अस्वस्थ राज्य 
- यह राज्य शिथिल होता है, अर्थात युद्धरत नहीं होता है, जिसमें व्यक्ति छोटे-मोटे स्वार्थों के लिए संघर्षरत रहते है| 
- साम्राज्यवाद या राज्य का विस्तार (विवर्धन का सिद्धांत)- 
- मैक्यावली के अनुसार राज्य चाहे गणतंत्रात्मक हो या राजतंत्रात्मक उसे सदैव प्रसरणशील होना चाहिए| यदि कोई राज्य विस्तार नहीं करेगा तो उसका पतन हो जाएगा| 
- राज्य और राजा को नई भूमि पर अधिकार करना चाहिए तथा उपनिवेश बसाने चाहिए| 
- विस्तार के लिए समुचित सैन्य संगठन और साम, दाम, दंड, भेद आदि कूटनीतिक शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए| 
- मैक्यावली की साम्राज्यवाद की धारणा प्लेटो के विपरीत है| जैसे फोस्टर के शब्दों में “प्लेटो के लिए राज्य विस्तार की भावना जहां राज्य के रोग का लक्षण है, वहां मैक्यावली के लिए राज्य विस्तार राज्य के स्वास्थ्य का लक्षण है|” 
- सरकार के रूप- 
- आदर्श शासन की स्थापना के उद्देश्य से मैक्यावली ने शासनतंत्रों अथवा सरकारों का वर्गीकरण किया है 
- अरस्तु का अनुसरण करते हुए सरकारों को शुद्ध और विकृत श्रेणियों में बांटकर सरकार के कुल 6 रूप बताए हैं| 
- मैक्यावली के मत में सर्वोत्तम आदर्श राज्य गणतंत्र (Republic) है| 
- अरस्तु, पॉलीबियस और सिसरो की तरह मैक्यावली ने भी मिश्रित सरकार को सर्वश्रेष्ठ माना है| मिश्रित सरकार की श्रेष्ठता का परिणाम रोम सरकार को मैक्यावली ने बताया| 
- मैक्यावली ने केवल दो ही सरकारों का विस्तार से वर्णन किया है| 
- राजतंत्र का वर्णन प्रिंस में 
- गणतंत्र का वर्णन डिसकोर्सेज में 
- राजतंत्र- राजतंत्र को मैक्यावली ने दो भागों में बांटा है- 
- पैतृक राजतंत्र (2) कृत्रिम राजतंत्र 
- पैतृक राजतंत्र- यह वह राजतंत्र है, जिसमें शासक वंश के आधार पर बनता है| 
- कृत्रिम राजतंत्र- यह वह राजतंत्र है, जहां दूसरे राज्य को परास्त करके शासक बनता है| 
- गणतंत्र- 
- डेनिंग “अरस्तु की भांति मैक्यावली का झुकाव गणराज्य व्यवस्था की ओर है, इस संबंध में उसके विचार यूनानीयों से मिलते हैं|” 
- मैक्यावली के अनुसार गणतंत्र शासन वही सफल हो सकता है जहां धन एवं संपत्ति की दृष्टि से लोगों में समानता होती है तथा जनता धर्मपरायण होती है| 
- मैक्यावली राजतंत्र की अपेक्षा गणतंत्र को उत्कृष्ट मानता है, जिसके निम्न कारण है- 
- जहां राजतंत्र में एक व्यक्ति या उसका परिवार लाभ उठाता है, वही गणतंत्र में सभी व्यक्तियों को शासन में भाग लेने का अधिकार होता है| 
- एक राजा की अपेक्षा समग्र रूप से जनता अधिक समझदार होती है| 
- गणतंत्र शासन में सरकार स्थायी होती है| 
- विदेशी राज्यों से की गई संधियां गणतंत्र में अधिक स्थायी होती हैं| 
- राजनीतिक और कानूनी संस्थाओं को बनाए रखने की क्षमता गणतंत्र में ज्यादा होती है| 
- इन दोनों के अलावा मैक्यावली ने कुलीनतंत्र का कट्टर विरोध किया है, क्योंकि सामान्यतः कुलीनतंत्र में शासक लोग कोई काम नहीं करते हैं वह दूसरे के श्रम की चोरी द्वारा अपना जीवन बिताते हैं| 
- मैक्यावली के इन तीनों शासन प्रणाली के विचारों के संबंध में सेबाइन ने कहा है कि “मैक्यावली ने गणतंत्र का जहां संभव हो, और राजतंत्र का जहां आवश्यक हो, समर्थन किया है, किंतु कुलीनतंत्र के संबंध में उसकी राय विपरीत है|” 
- नागरिक सेना या सैनिक शक्ति- 
- मैक्यावली नागरिकों की शक्तिशाली सेना जनतावाहिनी (People’s militia) के निर्माण पर बल देता है | 
- मैक्यावली के अनुसार 17 से 40 वर्ष की आयु के बीच के सभी समर्थ नागरिकों को सैनिक शिक्षा दी जानी चाहिए| 
- मैकियावेली कोंडोटरेर व्यवस्था के आलोचक थे, जिसमें भाड़े के सैनिकों का प्रावधान था| मैक्यावली के मत में भाड़े के सैनिकों पर निर्भर रहना राज्य के लिए खतरनाक है, राज्य के विनाश का कारण है| 
- संप्रभुता और विधि- 
- मैक्यावली ने स्पष्ट रूप से संप्रभुता शब्द का प्रयोग कहीं नहीं किया है, किंतु उसने राजा की शक्तियों के बारे में जो वर्णन किया है, उससे संप्रभुता का आभास होता है| 
- मैक्यावली की संप्रभुता एकात्मक, लौकिक, धर्मनिरपेक्ष और स्वतंत्र चेतना से युक्त है| 
- अंतरराष्ट्रीय मामलों में मैक्यावली सीमित संप्रभुता को स्वीकार करता है| 
- विधि की भी परिभाषा मैक्यावली ने कहीं भी नहीं दी है| विधि के संबंध में इनका विचार अत्यंत संकुचित है| इनके अनुसार विधि नागरिक है तथा शासक द्वारा निर्मित है| विधि सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च है| 
- मैक्यावली ने प्राकृतिक कानून सिद्धांत और देवी कानून सिद्धांत का खंडन कर सकारात्मक कानून सिद्धांत अर्थात राज्य निर्मित कानून की स्थापना की है| 
- मैक्यावली ने तर्क दिया है कि “विधि का शासन विवेकशील प्राणी के लिए स्वाभाविक है, परंतु इसे स्थापित करने के लिए शक्ति की जरूरत है|” 
- सर्व शक्तिशाली विधि-निर्माता या विधायक- 
- मैक्यावली शक्तिशाली विधायक पर बल देता है, क्योंकि सफल राज्य की स्थापना एक आदमी के द्वारा की जा सकती हैं| 
- बुद्धिमान विधायक द्वारा बनाए गए कानून नागरिकों के कार्यों को विनियमित व नियंत्रित करते हैं तथा उनमें नागरिकता तथा नैतिक गुणों का विकास और राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण भी करते हैं| 
- विधि निर्माता राज्य के साथ-साथ संपूर्ण समाज का, समाज की नैतिक, धार्मिक और आर्थिक संस्थाओं का निर्माता होता है| 
- आदर्श राज्य का शासक या आदर्श शासक- 
- मैक्यावली के अनुसार आदर्श राजा वह है, जो किन्हीं भी उपायों से राज्य की शक्ति, सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाता है तथा राज्य का निरंतर विस्तार करता है| 
- अपने ग्रंथ ‘द प्रिंस’ में उसने आदर्श शासक की निम्न विशेषताएं बताई हैं- 
- मनुष्य मानवता व पशुता के अंगों से मिलकर बना होता है| मैकियावेली ने यूनानी पौराणिक कथाओं के नराश्व का दृष्टांत दिया, जिसमें शरीर घोड़े का तथा गर्दन पर मनुष्य का सिर होता है, अतः राजा शरीर से शेर की तरह ताकतवर तथा दिमाग से लोमड़ी की तरह धूर्त होना चाहिए| (यूनानी पौराणिक कथाओं के चरित्र- चिरॉन व सेंटॉर) 
- राजा को अधिकाधिक शक्ति अर्जित करनी चाहिए| 
- क्रूरतापूर्वक कार्य करने में राजा को कभी संकोच नहीं होना चाहिए| 
- लोगों की घृणा से बचने के लिए राजा को कभी भी उनकी संपत्ति और उनकी स्त्रियों के सतीत्व को हाथ नहीं लगाना चाहिए| 
- राजा को प्रतिवर्ष समय-समय पर मनोरंजन के लिए मेले लगाने चाहिए| 
- युद्ध में प्राप्त माल को प्रजा और सैनिकों में उदारतापूर्वक वितरित कर देना चाहिए| 
- राजा को सामाजिक रूढ़ियों तथा परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए| 
- राजा को वाणिज्य, व्यवसाय, कृषि की उन्नति में रुचि लेना चाहिए, किंतु स्वमं इसके चक्कर में ना पड़े| 
- राजा नवीन राज्य पर अधिकार करे तो वहां के पुराने संविधान में कोई परिवर्तन नहीं करना चाहिए| 
- राजा की अंतर्राष्ट्रीय नीति, शक्ति संतुलन बनाए रखने की होनी चाहिए| राजा पड़ोसी राज्य को आपस में संधि ना करने दें| पड़ोसी राज्यों के आंतरिक मामलों में निरंतर हस्तक्षेप करता रहे| पड़ोसियों को शक्ति तथा प्रलोभन से मित्र बना ले| 
- राजा जनता में लोकप्रिय होना चाहिए| 
- राजा को चापलूसो से बचना चाहिए| 
भ्रष्टाचार और नागरिक सद्गुण-
- मैक्यावली के मत में सभ्यता का मतलब भ्रष्टाचार है| 
- मैक्यावली कहता है कि शहर में रहने वालों के बजाय ग्रामीण सरल लोगों के बीच काम करना ज्यादा आसान है तथा धूर्त लोगों के बजाय अच्छे लोगों पर गणतंत्र की स्थापना करना ज्यादा आसान है| 
- मैक्यावली ने अपनी पुस्तक डिसकोर्सेज में बिना मूल्य के धन को भ्रष्टाचार का स्रोत माना है| 
- मैक्यावली ने धन की तुलना महिला से की है| 
- मैक्यावली के मत में धनी लोगों के बजाय गरीबों में ज्यादा गुण है, क्योंकि वे सादा जीवन जीते हैं| 
- मैक्यावली के अनुसार भ्रष्टाचार का अर्थ है- हिंसा, अराजकता, असमानता, शांति और न्याय की कमी, अनुशासन की कमी, बेईमानी, धर्म के प्रति अनादर| 
- भ्रष्टाचार का सामना असाधारण अधिकारों वाले प्रिंस के द्वारा ही किया जा सकता है| 
- शासक में नागरिक सद्गुण, ऐसे लड़ाकू गुण हैं, जो बाहरी हमले और आंतरिक विखंडन के खिलाफ राज्य का बचाव करते हैं| 
- नागरिक सद्गुण साहस, शक्ति व बुद्धि के समन्वय का प्रतीक है| 
इतिहास का महत्व-
- इतिहास की ओर मैक्यावली का रुख व्यवहारिक था| 
- मैक्यावली के मत में इतिहास का सावधानी से परीक्षण करने पर भावी बुराइयों के खिलाफ ऐसे उपाय पेश किए जा सकते हैं, जो पिछले बुराइयों पर लागू किए गए थे, साथ ही वर्तमान के आधार पर इन बुराइयों को दूर किया जा सकता है| 
- अर्थात अतीत के इतिहास को परखने से हमें वर्तमान और भविष्य की समस्याओं की कुंजी मिल सकती है| 
गणतंत्र और आजादी का सिद्धांत-
- मैक्यावली गणतंत्रीय शासन के प्रशंसक थे, जिसके तहत प्राचीन रोमन लोगों ने अद्वितीय शक्ति और महानता प्राप्त की थी| 
- डिसकोर्सेज ऑन लिवि पुस्तक में मैक्यावली ने प्राचीन रोम में आजादी के विकास का वर्णन किया है| 
- मैक्यावली के मत में आजादी शक्तिशाली राज्य के साथ शक्तिशाली व्यक्ति भी पैदा करती है| 
- मैक्यावली के मत में आजादी को स्वार्थ से खतरा है| 
- मैक्यावली ने सार्वत्रिक कल्याण को आजादी की पूर्व आवश्यक शर्त माना है| 
- मैक्यावली के मत में व्यक्तिगत आजादी सार्वजनिक पदों में हिस्सेदारी से मिल सकती है| 
हिंसा, बल और बदमाशी तथा सावधानी की आवश्यकता-
- मैकियावेली सम्मान और शक्ति को सत्ता पाने का साधन मानता है| 
- मैक्यावली बल, हिंसा और बदमाशी को सत्ता बनाए रखने तथा शासन चलाने के लिए आवश्यक तो मानता है, लेकिन बल प्रयोग असाधारण स्थिति में ही किया जाए इसका समर्थन करता है| 
- मैक्यावली के मत में हिंसा या बल के प्रयोग को नियंत्रित तो कर सकते हैं, लेकिन हिंसा के प्रयोग को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता| 
- मैक्यावली ने सावधानी से निरंकुश हिंसा का प्रयोग करने की सलाह दी है, वरना अस्थिरता पैदा हो जाएगी| बार-बार बल प्रयोग करने से उद्देश्य प्राप्ति बाधित भी होती है| 
- मैक्यावली “केवल खुल्लम-खुल्ला बल प्रयोग से भी शायद ही कोई व्यक्ति अज्ञात अंधेरे कोनों से निकलकर सत्ता के सिंहासन पर जाकर बैठ सका हो|” 
- मैक्यावली सत्ता और संपदा प्राप्त करने के लिए शैतानी और धोखाधड़ी को शक्ति की तुलना में अधिक उपयोगी बताता है| अर्थात मैकियावेली शारीरिक बल का प्रयोग सापेक्ष दृष्टि से गौण रूप में ही उचित बतलाता है| 
- मैकियावेली के शब्दों में “मैं यह बात बिल्कुल सही मानता हूं कि बल और बदमाशी के प्रयोग के बिना मनुष्य शायद ही कभी अपनी नीचता से ऊपर उठ सके| पर भेंटस्वरूप या पैतृक अधिकार से कुछ पा लेने पर उसका आचरण दूसरी प्रकार का हो जाए यह संभव हो सकता है|” 
- मैक्यावली ने भ्रष्टाचार के निदान और सद्गुण के पुनर्जीवन के लिए हिंसा को एक शॉक थेरेपी माना है| 
युद्ध-
- मैक्यावली के मत में सरकार को विदेशी मामलों में बल प्रयोग सावधानी से करना चाहिए| 
- युद्ध राजा को अपने स्रोतों को ध्यान में रखकर करना चाहिए| 
- आवश्यक युद्ध से बचना एक बड़ी गलती होगी, लेकिन युद्ध को अनावश्यक रूप से लंबा चलाना भी भारी भूल होगी| 
परिवर्तन का सिद्धांत और भाग्य (Fortune) एक स्त्री के रूप में तथा सद्गुण (virtue) का किला-
- भाग्य को मैक्यावली ने स्त्री के समान बताया है, जिसकी ओर वीर पुरुष आकर्षित होते हैं| 
- सद्गुण और भाग्य को मैक्यावली ने पुरुष और स्त्री के समान बताया है| 
- मैक्यावली के अनुसार भाग्य बहादुर लोगों की सहायता करता है, लेकिन भाग्य उन लोगों को नष्ट कर देता है जो अपने हितों की उचित रक्षा नहीं करते हैं| 
- भाग्य पर नियंत्रण वे ही रख पाते हैं, जिनमें परिवर्तन की क्षमता होती है| 
- मैक्यावली इतिहास के चक्रीय सिद्धांत में विश्वास रखते हैं, अर्थात उनका मानना है कि परिवर्तन अवश्यम्भावी है, कोई भी व्यवस्था स्थाई नहीं है, चाहे वह गणतंत्र हो या राजतन्त्र| 
- भाग्य एक स्त्री के समान है, उस पर विजय पाना है तो जबरदस्ती कब्जा करना होगा| 
- नागरिक सद्गुण वह गुण या कौशल है, जो व्यक्ति को भाग्य के प्रहारों का सामना करने और किसी भी माध्यम से भाग्य पर काबू पाने में सक्षम बनाता है| 
- भाग्य की तुलना मैक्यावली उस पहाड़ी व जंगली झरने से भी करता है, जो मैदानो में बाढ़ लाता है| भाग्यवादी व्यक्ति हर वर्ष इसे ईश्वरीय प्रकोप मानकर सहते रहते है, जबकि सदगुण वाले कर्मठ व्यक्ति इस पर बांध बनाकर इसे रोक लेते हैं, अर्थात सद्गुणों का किला आपको सफल बनाता है| 
सुधारों की आवश्यकता-
- मैकियावेली सामयिक परिवर्तनों द्वारा सुधार की आवश्यकता पर विशेष बल देता है| 
- वह कानूनी परिवर्तनों को सामाजिक विकास का गतिशील तत्व बताता है| 
- मैक्यावली का कहना है कि रोम का अनुभव यह निष्कर्ष देता है, कि जो लोग एक स्वतंत्र राज्य में उपलब्ध सरकार (चाहे मिश्रित सरकार हो या लोकप्रिय) को सुधारना चाहते हैं, उन्हें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए| 
- उनके अनुसार परिवर्तन करते समय पुराने ढांचे को बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि ढांचा और मूलात्मा दोनों ही बदल जाएंगे तो राज्य का भी विघटन बढ़ेगा और संभवतः राज्य का ही पतन हो जाएगा| 
मानवता और परोपकार-
- मैक्यावली का मत है कि प्रेम और भय दोनों ही मनुष्य को वश में करने के साधन हैं| 
- मैकियावेली का मत है कि हिंसा, धोखाधड़ी, हत्या आदि की आवश्यकता और उपयोगिता सदैव रहेगी, लेकिन इनसे जो प्राप्त होता है, वह सीमित होता है| 
- इनके मत में दया, उदारता, मानवता और परोपकार से भी मनुष्य को वश में किया जा सकता है, तथा इनके प्रयोग से शासन सत्ता को एक अधिक सशक्त आधार मिलता है| 
- मैकियावेली “ऐसे प्रांतों और शहरों को भी जहां न कोई सेना थी, न युद्ध का साजो-सामान अथवा शक्ति प्रदर्शन का कोई प्रयास था, उन्हें भी मनुष्य ने अपनी उदारता, परोपकार तथा दयाभाव से जीतकर दिखलाया है|” 
- मैक्यावली सिद्धांत: विश्वसनीय, दयावान, धर्मपरायण और न्यायप्रिय प्रशासक की सराहना करता है, परंतु स्वार्थी और लालची लोगों को वश में करने के लिए वह राजा को भी धूर्त बन जाने की सलाह देता है"/p> 

 
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