अरस्तु की उपेक्षा करने वाला पहला आधुनिक विचारक-
थॉमस हॉब्स अरस्तु की अपेक्षा करने वाला पहला आधुनिक विचारक माना जाता है|
हॉब्स अरस्तु के विचार ‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा राज्य एक स्वाभाविक संस्था है’ का खंडन किया है तथा मनुष्य को एक असामाजिक प्राणी व राज्य को कृत्रिम माना है|
अरस्तु का मत है कि सभी चीजो में सर्वोच्च साध्य की प्राप्ति के बाद गति या विकास रुक जाता है, वही हॉब्स का मत है कि गति शाश्वत है, सभी वस्तुएं हमेशा गतिशील बनी रहती है|
अरस्तु के विपरीत हॉब्स का मानना था कि राज्य सद्जीवन के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा के लिए है, क्योंकि मानवों के बीच मित्रता नहीं शत्रुता होती है|
नामरुपवाद या नाममात्र रुपवाद (Nominalism)-
नामरूपवाद चेतन जगत के बजाय भौतिक जगत को ही सत्य मानता है| इस तरह हॉब्स भी आध्यात्मिक या चेतन जगत को कल्पनामात्र मानते हैं तथा भौतिक जगत व पदार्थ को ही वास्तविक सत्य मानते हैं|
हॉब्स के अनुसार “संसार में पदार्थ के अतिरिक्त कुछ भी सत्य नहीं है|” हॉब्स के लिए अध्यात्मिक सत्ता एक काल्पनिक वस्तुमात्र है|
सेबाइन “थॉमस हॉब्स पूर्णत: भौतिकवादी था और उसके लिए आध्यात्मिक सत्ता केवल काल्पनिक वस्तु मात्र थी|”
आणविक समाज का सिध्दांत-
हॉब्स का आणविक समाज का सिद्धांत गैलीलियो की रेजोल्यूशन कंपोजिटिव पद्धति पर आधारित है|
थॉमस हॉब्स का आणविक समाज व्यक्तिवाद पर आधारित है, यानी प्रत्येक व्यक्ति अणु की तरह महत्वपूर्ण व स्वतंत्र है|
बाद में ये स्वतंत्र हिस्से यानी व्यक्ति कंपोजिट होकर कॉमनवेल्थ का गठन करते हैं अर्थात समझौते के परिणामस्वरूप संपूर्ण मानव समुदाय एक कृत्रिम व्यक्ति में संयुक्त हो जाता है, जिसे हॉब्स कॉमनवेल्थ (राज्य) कहता है|
आत्मरक्षा की प्रकृति और बुद्धिसंगत आत्मरक्षा (Rational Self Preservation)-
हॉब्स ने आत्मरक्षा की प्रकृति के संबंध में बुद्धिसंगत या विवेकसंगत आत्मरक्षा का सिद्धांत दिया है|
हॉब्स के मत में आत्मरक्षा का उद्देश्य मनुष्य के जैविक अस्तित्व को कायम रखना है तथा जो बात इसमें सहायक है वह शुभ है और जो असहायक है वह अशुभ है|
मानव प्रकृति के मूल आवश्यकता सुरक्षा की इच्छा है तथा सुरक्षा के लिए मनुष्य शक्ति प्राप्त करना चाहता है|
हॉब्स मानव प्रकृति में अभिलाषा और विवेक इन दो सिद्धांतों की चर्चा करता है| अभिलाषा या इच्छा के कारण मनुष्य उन सभी वस्तुओं को स्वयं प्राप्त करना चाहता है, जिन्हें अन्य व्यक्ति चाहते हैं, जिसका परिणाम मनुष्यों में निरंतर संघर्ष है| लेकिन विवेक अथवा बुद्धि द्वारा मनुष्य पारस्परिक संघर्षों को समाप्त करते हैं|
हॉब्स के मत में प्राकृतिक अवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को सब कुछ पाने का अधिकार है, इसके लिए वह दूसरे को मार भी सकता है, लेकिन विवेक या बुद्धि शांति चाहता है तथा इस बात पर बल देता है कि सब कुछ पाने के चक्कर में वह मौत के मुंह में न चला जाए| इसी को हॉब्स विवेक संगत आत्मरक्षा (Rational self Preservation) कहता है|
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