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स्वतंत्रता संबंधी रूसो के विचार/ Rousseau's views on freedom || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

     स्वतंत्रता संबंधी रूसो के विचार-

    • रूसो स्वतंत्रता को राज्य प्रदत नागरिक अधिकार मानता है|

    • रूसो स्वतंत्रता को अत्यंत आवश्यक मानते हुए कहते हैं कि “आजादी का त्याग मनुष्य होने के दावे का त्याग है, मानवता के अधिकारों का समर्पण है तथा कर्तव्यो का भी समर्पण है|”

    • अपने ग्रंथ Social contract में रूसो ने लिखा है कि “स्वतंत्रता मानव का परम आंतरिक तत्व है| स्वतंत्रता नैतिकता का आधार है|”

    • रूसो “स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता या मनमाना कार्य करना नहीं है, बल्कि सामान्य हित की दृष्टि से बनाए गए नियम व कानूनों की पालना करने में स्वतंत्रता है|” अर्थात रूसो के मत में स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के प्रति समर्पण है|”

    • इस प्रकार रूसो ने स्वतंत्रता का सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है| 

    • रूसो के दर्शन में स्वतंत्रता का विशिष्ट महत्व है| ‘सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ का आरंभ इस प्रसिद्ध वाक्य के साथ होता है “मनुष्य स्वतंत्र उत्पन्न होता है, लेकिन वह सर्वत्र बेड़ियों में जकड़ा हुआ है|”

    • स्वतंत्रता का उपासक होने के कारण ही रूसो ने दास प्रथा की आलोचना की तथा स्वतंत्र राष्ट्रों को यह संदेश दिया कि “स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है, परंतु दुबारा हस्तगत कभी नहीं की जा सकती|”

    • हॉब्स ने जीवन रक्षा और शांति के लिए मनुष्य के सारे अधिकार और स्वतंत्रताए लेवियाथन को सौंप दी तो इसकी आलोचना में रूसो ने कहा कि “शांति तो कारागृह में भी पाई जाती है, तो क्या वह रहने लायक जगह होती हैं?”



    बाध्यकारिता द्वारा स्वतंत्रता का सिद्धांत-

    • रूसो का तर्क है कि समझौता एक खोखला फार्मूला नहीं है| यदि कोई व्यक्ति सामान्य इच्छा की आज्ञा मानने से मना करता है, तो उसको सामान्य इच्छा के पालन के लिए बाध्य किया जा सकता है| रूसो के मत में स्वतंत्रता सामान्य इच्छा का पालन करने में है, अतः व्यक्ति को स्वतंत्र होने के लिए बाध्य किया जा सकता है| 

    • Social Contract पुस्तक की अंतिम पंक्ति है “मनुष्य को स्वतंत्र होने के लिए बाध्य किया जा सकता है|’



    आरोपण द्वारा स्वतंत्रता का सिद्धांत-

    • रूसो के मत में स्वतंत्रता शक्ति या बल के द्वारा लोगों पर आरोपित की जा सकती है| 

    • रूसो के मत में कानून तोड़ने वाले को फांसी दी जाती है| यह स्वतंत्रता है, न कि स्वतंत्रता को सीमित करती है| 

    • एक सरकार जो सामान्य इच्छा पर आधारित है, एक व्यक्ति को मारकर भी उसे आजाद या स्वतंत्र कर सकती है| 



    स्वतंत्रता का विरोधाभास (Paradox of Freedom)- 

    • रूसो ने अपनी पुस्तक सोशल कॉन्ट्रैक्ट में लिखा है कि मनुष्य को स्वतंत्र होने के लिए बाध्य किया जा सकता है| रूसो के अनुसार स्वतंत्रता सामान्य इच्छा का पालन करने में है| अतः रूसो यहां निरंकुशतावादी बन जाता है| सेबाइन ने इसको स्वतंत्रता का विरोधाभास कहा है|

    • इसी सिद्धांत के कारण रूसो को फासीवाद का दार्शनिक पिता कहा जाता है| 

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