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शासन संबंधी रूसो के विचार/ कानून संबंधी रूसो के विचार || Rousseau's views on governance/Rousseau's views on law || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

     शासन संबंधी रूसो के विचार-

    • रूसो राज्य और शासन या सरकार में अंतर स्पष्ट करता है|

    • समझौते द्वारा निर्मित निकाय राज्य होता है, जो संपूर्ण समुदाय है जबकि शासन या सरकार वह व्यक्ति या व्यक्ति समूह जिसको राज्य द्वारा शासन संचालन का अधिकार दिया जाता है|

    • समझौते से केवल राज्य का जन्म होता है सरकार या शासन का नहीं|

    • जनता अपनी इच्छानुसार सरकार की शक्ति को सीमित कर सकती है, शक्ति वापस भी ले सकती है|

    • रूसो ने सरकार को न्याय रक्षक मंडल अथवा राजा कहा है|


    • शासन का वर्गीकरण- सरकार की बागडोर के आधार पर रूसो ने चार प्रकार के शासन बताये हैं-

    1. राजतंत्र- सरकार की बागडोर एक व्यक्ति के हाथ में|

    2. कुलीन तंत्र- सरकार की बागडोर कुछ व्यक्तियों के हाथ में|

    3. जनतंत्र- बागडोर संपूर्ण जनता या बहुमत के हाथ में|

    4. मिश्रित 


    • रूसो के अनुसार परिस्थिति व देशकाल के अनुसार कोई सा भी शासन सर्वोत्तम या निकृष्टतम हो सकता है|

    • रूसो के मत में शासन की प्रगति का निश्चित चिन्ह जनसंख्या है, जिस राज्य की जनसंख्या बढ़ती जाएगी, समझना चाहिए वह राज्य प्रगति की ओर बढ़ता जाएगा|

    • रूसो की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दल व दबाव समूह नहीं होंगे, क्योंकि ये समाज में वैमनस्य व विभाजन पैदा करते हैं|


    Note- 

    • रूसो ने व्यावहारिक कारणों से प्रतिनिधि लोकतंत्र की आलोचना की है| वह प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र का घोर विरोधी था| उसका झुकाव प्रत्यक्ष लोकतंत्र की ओर है, इसलिए वह प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र को सच्चा लोकतंत्र नहीं मानता है| लोकतंत्र में उत्तराधिकार की समस्या बनी रहती है| ब्रिटेन की निर्वाचन प्रथा के विषय में रूसो का मत है कि वहां नागरिक केवल निर्वाचन काल में ही स्वतंत्र होते हैं, इसके बाद दास बन जाते हैं|

    • रूसो ने प्रतिनिध्यात्मिक लोकतंत्र को निर्वाचित अभिजाततंत्र कहा है|



    कानून संबंधी रूसो के विचार- 

    • रूसो अपने निबंध Political Economy (1758) में कानून का महत्व दर्शाता है| कानून का लोगों द्वारा पालन किया जाना चाहिए| यदि मनुष्य कानून का पालन नहीं करेगा तो नागरिक समाज की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और मनुष्य को पुनः प्राकृतिक अवस्था में लौट जाना पड़ेगा|


    • Social contract (1762) ग्रंथ में रूसो ने कानून के चार प्रकार बताएं-

    1. राजनीतिक या आधारभूत कानून- इन कानूनों के द्वारा संप्रभुता का राज्य के साथ संबंध का निर्धारण होता है|

    2. दीवानी कानून- इसके द्वारा नागरिकों के पारस्परिक संबंध निर्धारित होते हैं|

    3. फौजदारी कानून- यह कानून, कानून की आज्ञा के उल्लंघन का दंड निश्चित करते हैं|

    4. जनमत, नैतिकता तथा रीति-रिवाज- रूसो के मतानुसार ये राज्य के वास्तविक संविधान है और नागरिकों के हृदय पटल पर अंकित है|


    • कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है| सामान्य इच्छा सदैव जनता के कल्याण की कामना करती है अतः यह कभी भी कानून द्वारा अन्याय करने की इच्छा नहीं कर सकती है| 

    • सरकार किसी भी अर्थ में कानून से ऊपर नहीं हो सकती है| 

    • कानून राज्य में समानता की स्थापना करते हैं|

    • कोई भी राज्य तभी तक वैध है, जब तक वह कानून के अनुसार कार्य करता है| 



    गुरु विधायक- 

    • यह कानून निर्माण का कार्य करेगा| सामान्य इच्छा की सहमति से कानून बनाएगा| अर्थात रूसो कानून निर्माण के लिए गुरु विधायक की व्यवस्था करता है|

    • रूसो भी प्लेटो के दार्शनिक राजा के समान किसी आदर्श (गुरु) विधायक की खोज में है, जो सामान्य इच्छा के अनुसार कानून का निर्माण कर सकें|

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