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थॉमस हॉब्स की रचनाएं /Thomas Hobbes ki rachnaye / The Writings of Thomas Hobbes || By Nirban P K Yadav Sir

 रचनाएं- 

हॉब्स  के द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ निम्न है-

  1. थ्यूसिडाइडस (1630)-

  • इसमें एथेंस का इतिहास है|


  1. डी सीवे (De Cive) 1642 ई.-

  • इस ग्रंथ में संप्रभुता की परिभाषा और उसका स्पष्टीकरण किया गया है|

  • इस ग्रंथ में हॉब्स ने प्राकृतिक अवस्था के बारे में सर्वप्रथम कहा था, कि ‘यह सभी का सबके खिलाफ संघर्ष की अवस्था’ थी| 

  • Philosophical Rudiments Concerning Government and Society के शीर्षक से हॉब्स ने डी सीवे को बाद में अंग्रेजी में अनुवाद कर छपवाया| 


  • Note- फ्रांस प्रवास के दौरान हॉब्स ने अपनी महान रचना (Magnum opus) लिखने की योजना तैयार की थी| इस योजना में क्रमश: तीन विषयों पर लिखना था- पदार्थ व शरीर, मानव स्वभाव, समाज का निर्माण व नागरिक, किंतु ब्रिटेन में गृहयुद्ध छिड़ जाने के कारण उन्होंने सबसे पहले तीसरा भाग लिखा डी सीवे 1642 के नाम से फिर क्रमश: निम्न लिखी- डी कारपोरे (De Corpore) 1655, डी होमिनी (De homine)-1659


  1. डी कारपोरे (De Corpore) 1655 ई.-

  • इसमें प्रकृति व प्राकृतिकअवस्था का विवेचन है|

  • इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जनता को संप्रभु शासक का विरोध क्यों नहीं करना चाहिए?

  • इसमें हॉब्स ने लिखा है “ज्ञान का अंत शक्ति है|”

  • इसमें हॉब्स ने तर्क दिया है कि विज्ञान का कार्य विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतियों को समझाना है| प्रत्येक मनुष्य का शरीर घड़ी की तरह एक जटिल यंत्र है, जिसमें हृदय स्प्रिंग है, नसे तार हैं, जोड़ टायर है जो गति देते हैं| इंद्रिया बाहरी संवेदनाओं से प्रभावित हो गति करती है| जो गतियां व संवेदनाएं आनंद देती है, वे Felicity (सुखदायक) कहलाती है तथा जो दर्द देती हैं वे Evil (बुरी) कहलाती है|


  1. डी होमिनी (De homine)-1659 ई


  1. एलिमेंट्स ऑफ लॉ (Elements of law) 1650 ई.-

  • इसमें विधि की व्याख्या तथा विधि के प्रकारों का वर्णन है|

  • यह पुस्तक केप्लर के ‘ग्रहों की गति संबंधी नियमों व गैलीलियो के ‘गिरती हुई वस्तु के नियम’ से प्रभावित है|


  1. लेवियाथन (Leviathan) 1651 ई-

  • इसमें निरंकुश राजतंत्र का समर्थन किया है| इस ग्रंथ को चार भागों में बांटा गया है-

  1. प्रथम भाग- Of Man (प्राकृतिक अवस्था का वर्णन)

  2. द्वितीय भाग- Of Commonwealth (राज्य की उत्पत्ति व संप्रभुता का वर्णन)

  3. तृतीय भाग- Of A Christian Commonwealth (धर्म (चर्च) और राज्य के मध्य संबंधो को स्पष्ट किया गया है|)

  4. चतुर्थ भाग- Of the Kingdom of Darkness (कैथोलिक चर्च की आलोचना की गई है|)


  1. ए डायलॉग ऑन दी सिविल वार्स (A Dialogue On The Civil Wars) 1668-

  • इसमें इंग्लैंड के गृहयुद्ध का वर्णन किया गया है| 


  1. डायलॉग ऑन द कॉमन कॉज-

  • इसमें हॉब्स ने यह प्रतिपादित किया कि राजा ही सर्वोच्च न्यायाधीश और एकमात्र विधि निर्माता है, जनता में उसे नियंत्रित करने की कोई क्षमता नहीं है|


  1. बेहेमोथ (Behemoth) 1670 ई-

  • इसमें ब्रिटिश गृह युद्ध का इतिहास है|


  • 86 वर्ष की आयु में हॉब्स ने होमर की पुस्तक ओडीसी और इलियड का अंग्रेजी में अनुवाद किया|



हॉब्स का लेवियाथन-

  • यह हॉब्स की सर्वश्रेष्ठ कृति है, जिसका प्रकाशन 1651 में हुआ था|

  • दूसरा शीर्षक- The Matter, Form and Power of a Commonwealth Ecclesiastical and Civil 

  • हॉब्स ने लेवियाथन रचना के मुख्य पृष्ठ पर इसे सब मनुष्यों से मिलकर बनने वाले एक विराट पुरुष या महामानव के रूप में चित्रित किया है| 

  • इसमें हॉब्स के राजनीतिक दर्शन का उल्लेख मिलता है|

  • इसमें व्यक्ति व राज्य तथा धर्म व राज्य के आपसी संबंधों का वर्णन है|

  • मुकुट धारण किए लेवियाथन के दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में धर्मदंड है| तलवार राजसत्ता का प्रतीक है तथा धर्मदंड, धर्मसत्ता का प्रतीक है| अर्थात लेवियाथन राजनीतिक व धार्मिक दोनों मामलों में सर्वोपरि है| इसलिए वेपर ने लिखा है कि “हॉब्स की कृति राजनीतिक विचारों के इतिहास में संपूर्ण संप्रभुता की प्रथम व्याख्या है|”

  • थॉमस हॉब्स धर्म व चर्च को राज्य के अधीन करता है| थॉमस हॉब्स के शब्दों में “चर्च कॉमनवेल्थ के अधीन अन्य संगठनों जैसा ही संगठन है|”

  • हॉब्स राज्य के लिए कॉमनवेल्थ शब्द का प्रयोग करता है|

  • थॉमस हॉब्स पॉप के संबंध में कहता है कि “पोप, बीमार रोमन साम्राज्य का भूत है, जो रोमन साम्राज्य की कब्र पर बैठा हुआ है|”


  • लेवियाथन का अर्थ ‘विशालकाय समुद्री रक्षक जीव या दैत्य या महामानव है|’


  • गूच “इस ग्रंथ की मौलिकता तथा शक्ति, इसमें विचारों का निखरापन तथा उसकी कल्पनायुक्त वाक्य शैली ने इसको राजनीतिक दर्शन के गौरव ग्रंथों में ला खड़ा किया है|”

  • माइकल ऑकशाटलेवियाथन अंग्रेजी भाषा में लिखी गई राजनीतिक दर्शन की महानतम और संभवत एकमात्र अति उत्तम रचना है|” माइकल ऑकशाट ने हॉब्स को ‘बुजुर्वा बाजार समाज’ के इतिहास का लेखक बताया है तथा हॉब्स के प्राकृतिक व्यक्ति को उखड़ा हुआ मनुष्य बताया है|”

  • क्लेरेंडन ने लेवियाथन को ‘शैतान की आत्मा’ कहा है, इसलिए इन्होंने इसे जला दिया| क्लेरेंडन कहता है कि “मैंने कभी कोई ऐसी पुस्तक नहीं पढ़ी, जिसमें राजद्रोह, विश्वासघात और धर्मद्रोह इतनी अधिक मात्रा में हो|”

  • क्लेरेंडन- “हॉब्स का दर्शन, विद्रोह की प्रश्नोत्तरी है|”

                          “लेवियाथन, पोप की भाषणबाजी व लीला का षड्यंत्र है|”

                          “लेवियाथन, क्रामवेल की चापलूसी में लिखा गया ग्रंथ है|”

                           

  • Note- 1683 इसवी में ‘लेवियाथन’ व ‘डी सीवे’ को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जलाया गया था| 

  • वाहन- वाहन इसे एक प्रभावहीन और परिणामहीन ग्रंथ कहता है|

  • ब्रेमहील “यह ग्रंथ सबको आग लगा देने वाला है, इसने जितनी गड़बड़ी पैदा की है, उतनी वनस्पतियों के बगीचे में सूअर भी पैदा नहीं करते|”

  • व्हाइट हॉल “लेवियाथन में उच्छृंखलता के सिद्धांत थे|”

  • काउले “नास्तिकतावादी हॉब्स, मेल्सबरी का शैतान है|”

  • 1657 ईस्वी में ब्रिटेन की पार्लियामेंट्री कमेटी ने लेवियाथन को ‘नास्तिकता की सबसे जहरीली रचना’ कहा है|


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