कौटिल्य का जीवन परिचय
कौटिल्य एक यथार्थवादी विचारक है|
कौटिल्य का वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था, इसे चाणक्य भी कहते हैं|
विशाखदंत ने मुद्राराक्षस में चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त कहा है|
डॉ पांडुरंग वामन काणे कृत ‘धर्म शास्त्र का इतिहास’ में बताया है कि कौटिल्य, चाणक्य, विष्णुगुप्त एक ही व्यक्ति के नाम थे|
कौटिल्य ई. पूर्व तीसरी सदी के आचार्य थे|
इनका जन्म तक्षशिला में हुआ था|
इनके जन्म के संबंध में मतभेद हैं| बौद्ध ग्रंथ इनकी जन्मभूमि तक्षशिला मानते हैं, जैन ग्रंथों के अनुसार इनकी जन्मभूमि मैसूर राज्य का श्रवणबेलगोला है, कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान नेपाल का तराई प्रदेश मानते हैं
यह तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षक थे|
राजनीति में आने के कारण-
कौटिल्य की व्यवहारिक राजनीति व राजवैभव में कोई रुचि नहीं थी, लेकिन परिस्थितियों ने व्यावहारिक राजनीति में भाग लेने के लिए बाध्य किया और भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण विद्वान बन गए|
राजनीति में आने के दो कारण-
तत्कालीन मगध साम्राज्य के सम्राट घनानंद द्वारा कौटिल्य का अपमान|
भारत पर यूनानी सिकंदर का आक्रमण| सिकंदर के आक्रमण से बचने के लिए भारत को एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाना|
इन्हीं परिस्थितियोंवश इन्होंने मगध साम्राज्य या नंद वंश का नाश किया तथा चंद्रगुप्त मौर्य को शासक बनाकर मौर्य वंश की नीव रखी, और स्वयं प्रधानमंत्री बन गए|
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