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कार्ल मार्क्स का राज्य सिद्धांत / State theory of Karl Marx || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

 मार्क्स का राज्य सिद्धांत-

  • राज्य की उत्पत्ति- मार्क्स के अनुसार राज्य की उत्पत्ति इतिहास प्रक्रिया में उस समय होती है, जब व्यक्तिगत संपत्ति की उत्पत्ति होती है तथा समाज संपत्तिवान तथा संपत्तिहीन दो परस्पर विरोधी हितों में बट जाता है| कार्ल मार्क्स समाज की इस अवस्था को दास युग कहता है|


  • राज्य उत्पत्ति का कारण- जब दास युग में स्वामी वर्ग अत्यधिक प्रभावशाली था, तो उसने अपनी संपत्ति की रक्षा तथा, दासो के दमन के लिए शक्ति का सहारा लिया तथा इस क्रिया द्वारा राज्य की उत्पत्ति हुई| अतः राज्य वर्ग संघर्ष से उत्पन्न संस्था है|


  • राज्य की प्रकृति- मार्क्स के मत में राज्य प्रकृति में एक वर्ग यंत्र या संस्था है, जिसका निर्माण शोषक वर्ग ने अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए किया, अतः राज्य एक शोषण का यंत्र है|

  • राज्य एक कृत्रिम संस्था है|

  • राज्य एक स्वायत्त संस्था नहीं है, बल्कि शोषक वर्ग के अधीन संस्था है|


  • प्रभुसत्ता- राज्य की प्रभुसत्ता वास्तव में शोषक वर्ग की प्रभुसत्ता है|


  • राज्य का उद्देश्य- राज्य का उद्देश्य शोषक वर्ग या पूंजीपति वर्ग के हितों की रक्षा करना है|


  • कार्ल मार्क्स के अनुसार इतिहास के किसी भी युग में पाई जाने वाली राज्य या राजव्यवस्था अपनी सामाजिक व्यवस्था के सापेक्ष होती है|


  • राज्य-विहीन समाज का उदय- मार्क्स के अनुसार राज्य स्थायी संस्था नहीं है| साम्यवाद में राज्य लुप्त हो जाएगा| 

  • कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो में कार्ल मार्क्स ने राज्य को पूंजीपतियों की कार्यसमिति कहा है|

  • कार्ल मार्क्स “बुजुर्वा लोकतंत्र अवसरानुकूल बुजुर्वा आतंक में बदल जाता हैं|”


  • Note- एंजिल्स के अनुसार राज्य “एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग के दमन के लिए एक यंत्र मात्र है|” 



बोनापार्टिज्म राज्य

  • मार्क्स ने अपनी रचना ‘18 वा लुई बोनापार्ट’ (The Eighteenth Brumaire of Louis Bonaparte, 1852) में बोनापार्टिज्म राज्य की चर्चा की है|

  • इस पुस्तक में 1851 में 18 वे लुई बोनापार्ट द्वारा किए गए फ्रांस के तख्तापलट से उपजी परिस्थितियों का वर्णन है| 

  • इसमें कार्ल मार्क्स ने नौकरशाही को ‘विशाल परजीवी शरीर’ (Giant Parasitic Body) कहा है| 

  • इसमें कार्ल मार्क्स ने शक्तिशाली और नौकरशाही राज्य की भर्त्सना की है तथा सर्वहारा से इसको नष्ट करने को कहते है| 

  • बोनापार्टिज्म राज्य पूंजीवादी समाज में वह सत्ता है, जिसमें एक व्यक्ति के शासन में सारी सत्ता राज्य की कार्यकारिणी के हाथ में केंद्रित हो जाती है और वह राज्य एवं समाज के दूसरे अंगों पर भी शासन करने लगती है|

  • बोनापार्टिज्म ऐसी स्थिति की पैदाइश है, जिसमें शासक वर्ग पूंजीवादी समाज में अपनी स्थिति संवैधानिक एवं पार्लियामेंट तरीके से बनाए नहीं रख सकता तथा साथ ही मजदूर वर्ग भी अपने लिए सत्ता पर अधिकार नहीं कर सकता है| यह दो विरोधी वर्गों के बीच अस्थाई संतुलन की स्थिति है|

  • कार्ल मार्क्स ने कहा है कि “बोनापार्टिज्म राज्य में पूंजीपति वर्ग राज्य पर शासन करने की क्षमता खो चुका है और मजदूर वर्ग भी हासिल नहीं कर सका है|” 

  • कार्ल मार्क्स ने इस एकमात्र कृति में राज्य को स्वायत्त माना है| राज्य किसी वर्ग से नियंत्रित होने के बजाय दोनों वर्गों पर नियंत्रण स्थापित कर लेता है|” 

  • बोनपार्टिजम को ‘राज्य की सापेक्ष स्वतंत्रता’ कहा जाता है| 

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