कौटिल्य और मैक्यावली का तुलनात्मक अध्ययन-
G B बोटाजी व A हिले ब्रांट ने कौटिल्य व मैक्यावली के मध्य समानता बतायी है|
कौटिल्य प्राचीन भारतीय विचारक है, जबकि मैक्यावली आधुनिक यूरोपियन (इटली) विचारक है|
कोटिल ने धर्म के महत्व को स्वीकारा है, लेकिन अर्थ से गौण माना है, जबकि मैक्यावली ने धर्म को राजनीति से पृथक रखा है|
कौटिल्य छोटे-छोटे राज्यों में बटे भारत को एकता के सूत्र में एक शक्तिशाली राजा के नेतृत्व में बांधना चाहता है, उसी प्रकार मैक्यावली भी छोटे-छोटे टुकड़ों में बटे इटली को एक कुशल राजा के नेतृत्व में एकता में बांधना चाहता है|
कौटिल्य के अनुसार राजा को सच्चरित्र, धर्मपरायण व नैतिकता युक्त होना चाहिए, केवल अपादधर्म के अंतर्गत इसका उल्लंघन कर सकता है, जबकि मैक्यावली के अनुसार राजा को सच्चरित्र होना जरूरी नहीं है|
कौटिल्य के अनुसार उत्तम साध्य के लिए साधन भी उचित होने चाहिए, केवल अपादधर्म के समय अनैतिक साधन अपनाए जा सकते हैं, जबकि मैक्यावली के अनुसार केवल साध्य उत्तम होना चाहिए साधन अनैतिक हो सकता है|
कौटिल्य के अनुसार राजा को शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए साम, दाम, भेद, दंड की नीति अपनायी जानी चाहिए, जबकि मैक्यावली के अनुसार राजा को शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए सिंह की तरह पराक्रमी और लोमड़ी की तरह धूर्त होना चाहिए|
मैक्यावली केवल 2 पशुओं (सिंह और लोमड़ी) के गुण राजा को सीखने की सलाह देता है, जबकि कौटिल्य विभिन्न पशु-पक्षियों से 20 गुण सीखने की सलाह देता है|
मैक्स वेबर “कौटिल्य का अर्थशास्त्र सही रूप में उग्र मैकियावलीवाद का उदाहरण है, इसकी तुलना में मैक्यावली का प्रिंस अहानिकारक है|”
प्रोफेसर मधुकर श्याम चतुर्वेदी “मैक्यावली के विचारों की कौटिल्य के दृष्टिकोण से तुलना करने पर यह स्पष्ट हो जाता है, कि दोनों विचारकों के मध्य समानता सतही है, वास्तविक नहीं|”
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