बेंथम का मूल्यांकन
बेंथम की आलोचना-
बेंथम की निम्न आलोचनाएं की जाती हैं-
बेंथम ने उपयोगितावाद सिद्धांत को बहुत अधिक भौतिकवादी बनाने के चक्कर में नैतिकता को तिलांजलि दे देता है| यदि कुछ बदमाश एक सज्जन को लूटने में आनंद का अनुभव करते हैं, तो बेंथम की दृष्टि में यह सही है|
रॉबर्ट एच मरे के अनुसार “यदि हम बेंथम की तरह अंतरात्मा की अवहेलना करने लगे तो नैतिक और अनैतिक कृत्यों में कोई अंतर नहीं रह जाएगा, हालांकि उपयोगिता की दृष्टि से कुछ कार्य वांछनीय होंगे कुछ नहीं होंगे|”
जॉन रॉल्स “उपयोगितावाद में सामूहिक हित की वृद्धि के लिए व्यक्ति के हित की बलि दे दी जाती है|”
बेंथम का उपयोगितावाद केवल मात्रात्मक सुख का समर्थक है, गुणात्मक सुख का नहीं|
बेंथम का सुखवादी मापदंड दोषपूर्ण है|
बेंथम किसी भी कार्य के औचित्य को सुख-दुख की मात्रा को निर्धारित करने वाले कारको को निश्चित अंक देकर, उसका योग निकालकर निर्धारित करना चाहता है, जो सही नहीं है| मेक्कन के अनुसार “राजनीति में अंकगणित का प्रयोग उतना ही निरर्थक है, जैसे अंकगणित में राजनीति का|“
बेंथम का उपयोगितावाद सिद्धांत अव्यवहारिक व अमनोवैज्ञानिक है|
बेंथम का उपयोगितावादी सिद्धांत समाज के बहुमत के अत्याचारों को प्रोत्साहित करने वाला है|
वेपर के अनुसार “बेंथम के दर्शन में मौलिकता का अभाव है, वह अपने पूर्ववर्ती सिद्धांतों को पूरी तरह से गले के नीचे उतार तो गया था, परंतु उनको पचा नहीं पाया|”
मैक्सी “बेंथम का उपयोगितावाद भेड़िया समाज में भेड़ियापन तथा साधु समाज में साधुता को महत्व देता है, जबकि मिल प्रत्येक अवस्था में साधुपन को महत्व देता है|”
कार्लाइल “बेंथम का सुखवादी दर्शन ‘सूअरों का दर्शन (Pig Philosophy)’ है|”
कार्ल मार्क्स ने बेंथम को “अति दंभी, नीरस, मोटी जीभ वाला, सामान्य पूंजीवादी, बुद्धिजीवी कहा है|”
जोहान गोटे ने बेंथम को “अत्यंत गया गुजरा आमूलवादी गधा कहा है|”
एमर्सन (Emerson) ने बेंथम के दर्शन को ‘बदबूदार (Stinking)’ बताया है|
लियोन ट्रोट्स्की ने बेंथम के उपयोगितावादी दर्शन को ‘खाना बनाने की किताब’ (A philosophy of social cookbook recipes) बताया है|
नीत्शे “बेंथम फटे कंबल की आत्मा, जोकर का चेहरा है, वह बिल्कुल मामूली सा है, उसमें न गुण है न ही आत्मा है|”
बेंथम की राजनीतिक चिंतन को देन-
राजनीतिक दर्शन को बेंथम की निम्न देन है-
उपयोगितावाद के दार्शनिक संप्रदाय की स्थापना करने और उसे एक वैज्ञानिक रूप देने का श्रेय बेंथम को ही है| हालवी के अनुसार “बेंथम कि यह बहुमूल्य देन है, कि उसने उपयोगिता के सिद्धांत द्वारा एक वैज्ञानिक नियम, एक क्रियाशील प्रशासन, वास्तविकता और औचित्य की खोज की है|”
बेंथम ने राज्य को मनुष्य के लिए माना है|
बेंथम ने लोकतंत्र (गणतंत्र) व लोकतांत्रिक संस्थाओं का समर्थन किया है| बेंथम के शब्दों में ”इस कुटिल संसार को गणतंत्र का जाल बिछाकर ही सुधारा जा सकता है|”
वेपर के अनुसार “बेंथमवाद जनता के प्रतिनिधियों में विश्वास नहीं करता है, वह उन्हें जनता को लूटने वाला मानता है|”
बेंथम के उपयोगितावाद का भारत पर भी प्रभाव पड़ा है| लॉर्ड विलियम बैंटिक ने भारत में अधिकांश सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक सुधार बेंथम के विचारों से प्रभावित होकर किए हैं| बैंटिक ने बेंथम को लिखा था कि “वास्तव में भारत का गवर्नर जनरल होकर मैं नहीं, बल्कि आप जा रहे हैं|”
बेंथम ने मैक्यावली की तरह राजनीति को धर्म व नैतिकता से पृथक किया है| नैतिकता व धर्म तभी उचित है, जब वे व्यक्तियों का सुख बढ़ाएं तथा दुख को कम करें|
बेंथम ही वह पहला आधुनिक विचारक है, जिसने राजनीति शास्त्र में अनुसंधान और गवेषणा को महत्व दिया है तथा सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में गवेषणात्मक पद्धति लागू की है और अनुभववादी तथा आलोचनात्मक पद्धति का सूत्रपात किया है|
बेंथम ने प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया है|
शिक्षा में ‘मॉनिटर पद्धति’ का समर्थन किया है अर्थात बुद्धिमान छात्र पढ़ाएं|
जेल सुधार की ‘पनोप्टिकन’ योजना प्रस्तुत की है|
बेंथम का यह विचार बहुत महत्वपूर्ण और सर्वथा आधुनिक है कि राज्य को अपना औचित्य स्थापित करने के लिए यह सिद्ध करना होगा कि वह वर्तमान समाज की उपयुक्त सेवा कर रहा है| इस तरह बेंथम ने सेवाधर्मी राज्य के विचार को बढ़ावा दिया है जो कल्याणकारी राज्य की संकल्पना के रूप में विकसित हुआ है|
सेबाइन ने बेंथम को ‘दार्शनिक आमूल परिवर्तनवादी’ (दार्शनिक उग्रवादी) कहा है, क्योंकि बेंथम ने अपने समय में प्रचलित प्राकृतिक अधिकार की धारणा व ब्रिटेन में प्रचलित अनेक सिद्धांतों में परिवर्तन किया है|
कैटलिन ने बेंथम के दर्शन को ‘व्यक्तिवादी व अहस्तक्षेप का सिद्धांत’ कहा है|”
आईवर ब्राउन ने बेंथम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि “बेंथमवाद से उसका भद्दापन निकाल दिया जाए, तो फिर विशुद्ध मानवतावाद के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देगा|”
बेंथम से संबंधित कुछ अन्य तथ्य-
जे एस मिल ने बेंथम को “प्रगतिशील दार्शनिक, मानवता का महान कल्याणकारी, यथास्थिति का शत्रु तथा स्थापित चीजों पर प्रश्नचिन्ह” लगाने वाला बताया है|
प्रशंसा करने के बावजूद भी मिल ने यह भी कहा है कि “बेंथम ऐसा लड़का था जो कभी बड़ा ही नहीं हुआ जिसे न बाहरी अनुभव था, न अंदरूनी और जो निजी आय के सहारे बिना कभी बड़े हुए एक हिजड़े का जीवन व्यतीत करता रहा|”
बेंथम ने स्वयं को ‘रानी चौक का भिक्षु’ तथा ‘महत्वकांक्षियों में सबसे महत्वकांक्षी’ कहते थे|
फ्रांसीसी दार्शनिक क्लॉड एड्रियन हेल्वेंटियस उनके प्रेरणा स्त्रोत थे| हेल्वेंटियस से बेंथम ने यह सीखा कि कानून बनाना सबसे महत्वपूर्ण लौकिक कार्य है तथा कानून के द्वारा समाज में कोई भी सुधार लाया जा सकता है|
राजा राममोहन राय से बेंथम की मित्रता थी तथा दोनों में पत्र व्यवहार भी था| राजा राममोहन राय, बेंथम के प्राकृतिक अधिकारों संबंधी विचार तथा उपयोगितावाद से प्रभावित थे|
बेंथम की सुधारवादी योजनाओं तथा गांधीजी की सुधारवादी योजनाओं में समानता के कारण ब्रोनोवस्की व मजलिस ने लिखा है कि “महात्मा गांधी आधुनिक बेंथम कहे जा सकते हैं|”
विम किमलिका का मत है कि बेंथम का यह विचार गलत है कि मनुष्य केवल सुख चाहता है|
बेंथम को ‘मुक्त व्यापारियों का पिता’ भी कहा जाता है|
बेंथम “युद्ध व तूफान पढ़ने के लिए श्रेष्ठतम हो सकते हैं, लेकिन सहन करने के लिए शांति व सुरक्षा ही श्रेष्ठ होती है|”
वेपर “बेंथम ने ज्ञान संबंधी विचारधारा को लॉक व ह्यूम से, सुख-दुख का सिद्धांत हेल्वेटियस से, सहानुभूति व असहानुभूति का विचार ह्यूम से लिया है|”
बेंथम की इच्छा अनुसार उसके शरीर को जंतु विज्ञान प्रयोगशाला को दे दिया गया| जहां से उनके कंकाल को लंदन विश्वविद्यालय में सुरक्षित रखा गया, जो आज भी सुरक्षित है| बेंथम के अस्थि पंजर (कंकाल) लंदन यूनिवर्सिटी में उस कपड़े से ढककर रखा है, जिनको वह पहन कर अपनी प्रिय डॉबीन छड़ी लेकर हर सुबह अपने वेस्टमिंस्टर गार्डन में घूमा करते थे|
बेंथम अपने खाने के कमरे को ‘दुकान’, चाय के बर्तन को ‘डिक’ काम करने वाले टेबल को ‘केरोसियो’ कहा करते थे तथा उनकी टेबल को एक ऊंची जगह पर रखा गया था जिसके चारों ओर चलने का नीचा रास्ता बना हुआ था जिससे वह ‘हिलती खाई या कुआं’ कहते थे|
बेंथम ने कहा कि “सारी खुशियां और दुख ले लेने से, इच्छाएं समाप्त हो जाती हैं और बिना इच्छा के कोई कार्य नहीं होता है|”
बेंथम “उपयोगिता का नैतिक विश्व में वही स्थान है, जो गणित में रेखा गणित का स्थान है|”
ह्यूम “बेंथम के सिद्धांत ने, आधुनिक राजनीतिक चिंतन के दो विषय एक साथ लाए- 1 व्यक्तिवाद, 2 आधुनिक सार्वभौम राज्य|”
बेंथम के सिद्धांतों ने समाजवादी विचारों को भी प्रभावित किया है| इसी कारण बेत्रिस वेव ने बेंथम को सिडनी वेब का बौद्धिक पिता कहा है|
बेंथम को विधिशास्त्र का न्यूटन भी कहा जाता है|
बेंथम के उपयोगितावादी सिद्धांत का जेम्स मिल ने इतिहास, जॉन स्टुअर्ट मिल ने राजनीति, रिकार्डो ने अर्थशास्त्र, सैमुअल रोमिले व ऑस्टिन ने विधिक क्षेत्र में प्रयोग किया है|
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