Ad Code

जॉन स्टूअर्ट मिल का मूल्यांकन / Evaluation of John Stuart Mill || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

     राजनीतिक चिंतन को मिल की देन-

    • राजनीतिक दर्शन को मिल की सबसे महत्वपूर्ण देन व्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी महत्ता का प्रतिपादन है|

    • मिल एक उदारवादी विचारक था| इसने प्रत्येक व्यक्ति के महत्व का प्रतिपादन किया है| कुछ थोड़े से रचनाशील व मौलिक प्रतिभाशाली व्यक्तियों के कार्य को महत्व दिया है| इसके संबंध में मिल कहता है कि “यह थोड़े से लोग ही पृथ्वी के लवण है, इनके बिना जीवन प्रगतिहीन हो जाएगा|”

    • जार्ज एच. सेबाइन उदारवादी के रूप में मिल का मूल्यांकन करता है| सेबाइन के मत में उदारवादी दर्शन में मिल का योगदान चार बातों में है-

    1. उपयोगितावादी सिद्धांत में नैतिक भावना का मिश्रण कर उसने कांट के समान ही मानव व्यक्तित्व को मान्यता दी है और नैतिक उत्तरदायित्व से उसका संबंध स्पष्ट किया है|

    2. उसने सामाजिक व राजनीतिक स्वतंत्रता को स्वयं में अच्छा बताया|

    3. स्वतंत्रता केवल व्यक्तिगत नहीं, वरन सामाजिक अच्छाई है |

    4. स्वतंत्र समाज में उदारवादी राज्य का कार्य नकारात्मक नहीं, वरन सकारात्मक है|


    • बोव्ले (Bowle) “यदि लेखकों की योग्यता का निर्णय इस बात से होता है कि उनका नीति पर क्या प्रभाव पड़ता है तो मिल का स्थान निश्चित रूप से ही ऊंचा है| एक न्यायशास्त्री, अर्थशास्त्री तथा राजनीतिक दार्शनिक के रूप में उसे अपने युग में एक अवतार समझा जाता था|”

    • मिल ने उपयोगितावाद के तर्कशास्त्र को विकसित किया और आगमनात्मक पद्धति की त्रुटियां दूर की|

    • मिल की सर्वोच्च देन उसका व्यक्तिवाद है, जिसे उदारवाद भी कहा जाता है|



    आलोचना-

    • मताधिकार के लिए शैक्षणिक और संपत्ति संबंधी योग्यता को लागू करना सही नहीं है|

    • सार्वजनिक व खुला मतदान उचित नहीं है| 

    • बहुल मतदान प्रणाली अव्यावहारिक है

    • C.L वेपर ने मिल को ‘एक असंतुष्ट प्रजातंत्रवादी या अनिच्छुक लोकतांत्रिक या विरक लोकतांत्रिक कहा है|’ क्योंकि मिल सभी समाजों (देशों) के लिए लोकतंत्र की व्यवस्था को उपयुक्त नहीं मानता है| अत: मिल कहता है “लोकतंत्र उपहार नहीं, एक आदत है, यह कुलीनों द्वारा ही संभव है|” 

    • वेपर व डेनिंग ने मिल के ‘नारी स्वतंत्रता’ संबंधी विचारों का विरोध किया है|



    मिल से संबंधित कुछ अन्य तथ्य-

    • जहां बेंथम संरक्षणात्मक लोकतंत्र का समर्थक है, वहीं मिल विकासात्मक लोकतंत्र का समर्थक है|

    • स्त्री समानता के मिल के विचार का बंकिम चंद्र चटर्जी ने समर्थन किया है| बंकिम चंद्र चटर्जी के विचार में सब्जेक्शन ऑफ वूमेन में जो कुछ कहा गया है, उसमें और कुछ भी जोड़ने की जरूरत नहीं है, सिवाय इसके कि भारतीय स्त्रियों का शोषण सौवां हिस्सा अधिक होता है| 

    • मिल उदारवादी के साथ-साथ एक अनिच्छुक लोकतांत्रिक, एक बहुलवादी, सहकारी समाजवादी, कुलीनवादीनारीवादी विचारक हैं|

    • हेराल्ड लास्की ने लिखा है कि “मिल एक ऐसा समुद्र है जिसमें बेंथम व जेम्स मिल तो क्या, कॉलरिज, सेंट साइमन, ऑगस्ट काम्टे, टॉकवीले जैसी कितनी ही धाराएं समाहित हैं|”

    • अल ग्रे ने कहा है कि “यदि कोई उदारवादी है, तो वह अवश्य ही मिल है|”

    • मिल की कृति प्रिंसिपल ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी तथा कार्ल मार्क्स की कृति कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो दोनों कृतियां एक ही वर्ष 1848 में प्रकाशित हुई|

    • मिल भारत के धार्मिक रीति-रिवाजों में दखल देने के विरोधी थे|

    • सिबली ने मिल के प्रतिनिध्यात्मक शासन की योजना को अरस्तु की पॉलिटी से बहुत अधिक नजदीक माना है|

    • लिंडसे ने मिल की स्वतंत्रता को सकारात्मक स्वतंत्रता माना है, जो एक उचित सीमा तक समाज के नियंत्रण में रहकर विकसित होती है|

    • डेविडसन ने मिल के स्वतंत्रता के सिद्धांत के आधार पर ही उसे व्यक्तिवाद का प्रमुख अधिवक्ता कहा है|

    • जोड़ के अनुसार मिल की स्वतंत्रता उपयोगितावादी सिद्धांत पर आधारित है|

    • मिल प्रथम व्यक्तिवादी तथा अंतिम उपयोगितावादी था| मिल शुरू में नकारात्मक उदारवादी था पर जीवन के अंतिम दौर में सकारात्मक उदारवादी हो गया तथा राज्य द्वारा युक्तिसंगत हस्तक्षेप का समर्थन करने लगा, पर फिर भी उसने सामंतवाद की आलोचना की, ना कि पूंजीवाद पर नियंत्रण की वकालत की| वे ट्रेड यूनियनों व हड़ताल के अधिकार के समर्थक जरूर थे| 

    • इस कारण कहा जाता है कि इंग्लिश समाजवाद (फेबियनवाद) मिल के समष्टिवाद (हल्का-फुल्का राज्य नियंत्रण) से प्रेरित है, ना कि मार्क्स के साम्यवाद से| 

    • बार्कर “मार्क्स नहीं, मिल ही इंग्लिश समाजवाद (फेबियनवाद) का आरंभिक बिंदु है|”

    • मिल जीवन के अंतिम वर्षों में नकारात्मक उदारवाद से समाजवाद की ओर झुक गया था| तथा मिल ने अपनी Autobiography में लिखा है कि “पहले मैं लोकतंत्र का समर्थक था, बिल्कुल भी समाजवादी नहीं था, अब मैं पहले की अपेक्षा कम लोकतांत्रिक तथा ज्यादा समाजवादी हूं|”

    • मिल टॉकवीले की रचना डेमोक्रेसी इन अमेरिका से प्रभावित था| 

    • मिल ऑगस्ट काम्टे के विचारों से भी प्रभावित था| 

    Close Menu