मार्क्स पर प्रभाव-
मार्क्स पर जर्मन दार्शनिक हीगल और फ्यूरेबेक (Feuerbach), फ्रांसीसी समाजवादियों, ब्रिटिश समाजवादियों व अर्थशास्त्रियों का प्रभाव पड़ा है|
निस्बेट “कार्ल मार्क्स ने तीन तत्वों को मिलाया- जर्मन दर्शन, फ्रांसीसी राजनीतिक विचार व इंग्लिश अर्थशास्त्र|”
कार्ल मार्क्स ने जर्मन दर्शन से हीगल से द्वंदवाद तथा फ्यूरेबेक (फायरबाख) से भौतिकवाद लिया है| फ्यूरेबेक (फायरबाख) से भौतिकवाद के अलावा नास्तिकता व धर्म र्विरोध का विचार भी लिया|
कार्ल मार्क्स “फ्यूरेबेक का भौतिकवाद भद्दा भौतिकवाद है|”
हीगल से कार्ल मार्क्स ने यह विचार ग्रहण किया है कि इतिहास का निरंतर और युक्तियुक्त विकास हो रहा है|
कार्ल मार्क्स और हीगल दोनों ने इतिहास की व्याख्या द्वंदात्मक पद्धति से की है, लेकिन हीगल का इतिहास का वर्णन आदर्शात्मक है तथा कार्ल मार्क्स का इतिहास का वर्णन भौतिक है अर्थात आर्थिक शक्तियों द्वारा इतिहास का वर्णन|
कार्ल मार्क्स पर फ्रांसीसी समाजवाद का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ा है| जिसमें केबेट, सेंट साइमन, प्रोधां शामिल है|
कार्ल मार्क्स ने फ्रांसीसी राजनीति से क्रांतिकारी परंपरा व रेडिकल परिवर्तन का विचार लिया|
कार्ल मार्क्स, केबेट के साम्यवाद से प्रभावित था, इसी कारण ब्रुसेल्स में स्थापित कम्युनिस्ट लीग को समाजवादी की अपेक्षा साम्यवादी कहना अधिक उपयुक्त समझा|
सेंट साइमन ने श्रम के महत्व को स्पष्ट किया था और कहा था कि श्रम करने वाले को ही जीवित रहने का अधिकार है| इसी के आधार पर कार्ल मार्क्स ने वर्ग विहीन समाज की स्थापना का सिद्धांत दिया था|
प्रोधां के ग्रंथ ‘Philosophy of Poverty’ के प्रत्युत्तर में कार्ल मार्क्स ने ‘Poverty of Philosophy’ ग्रंथ की रचना की जिसका उद्देश्य तत्कालीन जर्मन विचारधारा को क्रांतिकारी स्वरूप देना था|
मार्क्स पर ब्रिटिश समाजवादी और अर्थशास्त्रियों ने भी बड़ा प्रभाव डाला था|
कार्ल मार्क्स ने ब्रिटिश परंपरागत अर्थशास्त्रियों की रचनाओं से पूंजीवाद व औद्योगिक क्रांति का विचार ग्रहण किया|
थॉमसन, होंगसकीन व अन्य ब्रिटिश समाजवादियों ने श्रम को मूल्य का एकमात्र स्रोत बताया| इस धारणा का प्रभाव कार्ल मार्क्स के अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत पर स्पष्ट दिखाई देता है|
“दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ” का जो नारा कार्ल मार्क्स ने दिया था, ये शब्द कार्ल शैपर के हैं|
“प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार, प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार” का यह सूत्र कार्ल मार्क्स ने प्रौंधा से लिया है|
कार्ल मार्क्स के क्रांति संबंधी विचार तथा राज्य संबंधी विचार फ्रांस की क्रांति से प्रभावित है|
कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष का सिद्धांत ऑगस्टीन थियरे से लिया है|
कार्ल मार्क्स ने साम्यवाद शब्द केबेट से लिया है| “श्रम सिर्फ गरीब की संपत्ति होती है” यह विचार कार्ल मार्क्स ने केबेट लिया है|
ग्रे के अनुसार “सामान्य व्यक्ति के लिए मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत रिकार्डो के मूल्य सिद्धांत के अतिरिक्त और कुछ नहीं है|”
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