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मार्क्स का वैज्ञानिक समाजवाद / Marx's Scientific Socialism || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

मार्क्स का वैज्ञानिक समाजवाद-

मार्क्स से पहले भी कुछ फ्रांसीसी और ब्रिटिश विचारक भी समाजवाद पर चर्चा कर चुके थे| जिनमें प्रमुख निम्न है- फ्रांस में नायल बाबेफ, सेंट साइमन, चार्ल्स फोरियर, लुइ ब्लांक तथा इंग्लैंड में जॉन दि सिसमंडी, डॉ. हाल, विलियम थॉमसन और रॉबर्ट ओवन
ये विचारक पूंजीवादी व्यवस्था में विद्यमान धन की विषमता, स्वतंत्र प्रतियोगिता, और आर्थिक क्षेत्र में राज्य की अहस्तक्षेप नीति के कटु आलोचक थे| 
इन्होंने विषमता की तो बात की, लेकिन यह विषमता क्यों आई इसका वर्णन नहीं किया| इसलिए कार्ल मार्क्स ने अपने से पूर्व के समाजवादियों को स्वपनलौकिय समाजवादी कहा है|
काल्पनिक समाजवादी (Utopian Socialist) शब्द का पहली बार प्रयोग फ्रांसीसी अर्थशास्त्री जेरोम ब्लांकी (Jerome Blanqui) ने अपनी पुस्तक History of Political Economy में किया था|
मार्क्स के समाजवाद को वैज्ञानिक समाजवाद तथा सर्वहारा समाजवाद कहा जाता है|
मार्क्स का समाजवाद वैज्ञानिक इसलिए है कि यह इतिहास की भौतिक व्याख्या पर आधारित है|
C.E.M जोड़ “कार्ल मार्क्स वास्तविक रूप में समाजवाद के पिता है|”
कैटलिन “मार्क्स का क्रांतिकारी कदम वर्ग संघर्ष पर स्थित है| वर्ग संघर्ष अतिरिक्त मूल्यों के आर्थिक सिद्धांतों पर, आर्थिक सिद्धांत इतिहास की आर्थिक व्याख्या पर, आर्थिक व्याख्या मार्क्स- हीगल के द्वंदात्मक पर और द्वंदात्मक, भौतिकवादी आध्यात्मिक विद्या पर स्थित है|”

  • कार्ल मार्क्स के वैज्ञानिक समाजवाद के चार आधार स्तंभ है-

  1. द्वंदात्मक भौतिकवाद

  2. इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या

  3. वर्ग संघर्ष का सिद्धांत

  4. अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत


द्वंदात्मक भौतिकवाद का जनक- कार्ल मार्क्स

वैज्ञानिक भौतिकवाद या यांत्रिक भौतिकवाद का जनक- थॉमस हॉब्स

द्वंदात्मक चेतनवाद का जनक- हेगेल

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