स्त्री समानता के बारे में मिल के विचार-
‘The Subjection of women’ (1869) पुस्तक में मिल स्त्री समानता का समर्थन करता है|
मिल ने तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्त्री समानता का समर्थन किया है-
मताधिकार
शिक्षा
नौकरी
मिल के मत में स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान होती है, जबकि स्त्री पीड़ित होती हैं और उसे समाज द्वारा अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन का मौका नहीं मिलता है| स्त्रियों की स्थिति दासो से भी बुरी है|
मिल इंग्लैंड में स्त्रियों की निम्नतर स्थिति की आलोचना करता है|
रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट में मिल ने लिखा है कि “यौन अंतर राजनीतिक अधिकारों के बंटवारे का आधार नहीं होना चाहिए|”
प्रिंसिपल ऑफ पॉलीटिकल इकोनामी में मिल ने औद्योगिक कार्यों में स्त्री पुरुष समानता का समर्थन किया है| मिल कहता है कि सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण स्त्रियों को कम वेतन मिलता है| इस प्रकार वे पुरुषों की अनुगामिनी बन जाती हैं|
मिल ने संसद सदस्य के रूप में मैरिड वीमेन्स प्रॉपर्टी बिल का समर्थन किया है
मिल कहता है कि “यदि स्त्री को पूर्ण आजादी मिल जाए और वे अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग कर सके तो समाज के पास गुणवत्ता का भंडार काफी बढ़ जाएगा|”
मिल के अनुसार महिला असमानता प्राकृतिक नहीं है, बल्कि सामाजिक है, जो पितृसत्तात्मक समाज की देन है|
मिल “परिवार तानाशाही की पाठशाला है|”
मिल “स्त्री अपनी मुक्ति पुरुष के सहयोग के बिना प्राप्त कर सकती है|”
सुसेन मोलर ओकिन “मिल की दृष्टि मध्यम वर्गीय स्त्री तक सीमित थी|”
भारत व मिल-
मिल का मत है कि चीन और भारत ने शुरू-शुरू में उच्च सभ्यता विकसित की थी, लेकिन वे अभी परंपराओं में दबे हुए व्यक्तिवाद व तर्कवाद जैसे प्रश्नों से दूर हैं|
एडमण्ट बर्क के सामान मिल भारत में धार्मिक रीति-रिवाजों में दखल देने के विरुद्ध थे|
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