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कार्ल मार्क्स का मूल्यांकन / Evaluation of Karl Marx || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

 मार्क्स का मूल्यांकन- 

महत्व-

  • मार्क्स को साम्यवादियों ने एक अवतार जैसी प्रतिष्ठा प्रदान की है, वही पूंजीपति वर्ग ने उसे ‘सभ्यता और मैत्री’ का शत्रु कहा है|

  • मैकाइवर (द वेब ऑफ़ गवर्नमेंट 1965) “समाजवाद की स्थापना से सोवियत रूस में जो आर्थिक प्रगति हुई है, उसमें लोकतांत्रिक अभिलाषाओं की पूर्ति की झलक मिलती है|” 

  • ग्रे “मार्क्स 19 वी शताब्दी का अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति है|”

  • सेलिगमैन “शायद रिकार्डों को छोड़कर अर्थ विज्ञान के समूचे इतिहास में मार्क्स से बढ़कर मौलिक, शक्तिशाली और मेधावी व्यक्ति पैदा नहीं हुआ|”

  • लॉस्की “मार्क्स ने साम्यवाद को कोलाहल से उठाकर एक सशक्त आंदोलन का रूप दिया जो कि सिद्धांतों पर आधारित है|”

  • वेपर “मार्क्स ने अपने अनुयायियों के लिए धर्म का नवीन स्तर तथा मुक्ति का आनंदमय मार्ग सुस्थिर किया है| उसने ऐसे वर्ग का सृजन किया है जो हमारी पृथ्वी पर ही है|”

  • हंट “समाज विज्ञानों के सभी आधुनिक लेखक मार्क्स के प्रति ऋणी है, चाहे वे स्वीकार या न करें|”

  • वेपर “मार्क्स ने धर्म और विज्ञान के संयोग से युग की महान सेवा की है|”

  • कार्ल मार्क्स को ‘श्रमिकों का मसीहा’ भी कहा जाता है|”

  • कार्ल मार्क्स व एंजेल्स की मित्रता के संबंध में मैक्सी का कथन “दोनों के बीच एक ऐसी मित्रता की शुरुआत हुई, जिसका अंत इतिहास की एक असाधारण बौद्धिक और आध्यात्मिक भागीदारी बन गयी|”



आलोचना-

  • मार्क्सवाद क्रांति का संदेश देकर हिंसा को बढ़ावा देता है| 

  • कार्ल पॉपर व इसाह बर्लिन ने कार्ल मार्क्स को काल्पनिक दार्शनिक के रूप में अस्पष्ट, खतरनाक, तार्किक रूप से असंबंध बताया है|

  • मार्क्सवाद स्वयं एक विचारधारा बन गया है, जिसके कारण कार्ल पॉपर ने अपनी रचना ओपन सोसायटी एंड इट्स एनीमीज 1945 में प्लेटो, हेगेल तथा कार्ल मार्क्स को खुले समाज का शत्रु कहा है|

  • कार्ल पॉपर “मार्क्स का वैज्ञानिक समाजवाद न सिर्फ समाज के बारे में गलत था, बल्कि विज्ञान के बारे में भी गलत था|

  • बर्लिन “इसमें शक नहीं है कि कार्ल मार्क्स अति महान थे, लेकिन वे फासीवाद, सत्तावाद व कल्याणकारी राज्य के उदय की घोषणा नहीं कर पाए| पूंजीवाद का भी उनका विश्लेषण अधिक से अधिक 19वीं सदी के पूंजीवाद पर लागू होता है|”

  • कोइस्लेर “मार्क्स ईश्वर था, जिसने निराश किया|”

  • कैटलिन “कार्ल मार्क्स का वर्ग संघर्ष का सिद्धांत ही आधुनिक कष्टों, रोगों व यहां तक कि फासीवाद का जन्मदाता है|”

  • फ्रांसीसी फुकुयामा (The End of History and the Last Man 1992)“कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित ऐतिहासिक भौतिकवाद कूड़ेदान में चला गया है|”

  • केर्युहंट “कार्ल मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य सिद्धांत किसी भी रूप में मूल्य का सिद्धांत नहीं है, बल्कि वास्तव में यह शोषण का सिद्धांत है |”

  • सेबाइन ने कार्ल मार्क्स के द्वंदात्मक भौतिकवाद को नैतिक स्वच्छंदतावाद कहा है|

  • हेबरमास ने साम्यवाद को उदासीन, रोमांटिक व यूटोपियन बताया है तथा इसे निष्कासित प्रवचन कहा है| 

  • H B एक्टन ने अपनी कृति The Illusion of Epoch 1955 में मार्क्सवाद लेनिनवाद को युग भ्रम कहा है| 



 कार्ल मार्क्स से संबंधित कुछ अन्य तथ्य-

  • वर्ग संघर्ष का विचार कार्ल मार्क्स ने ऑगस्टिन थियरे से लिया है|

  • कार्ल मार्क्स ने पहली बार आर्थिक आधार पर समाज को दो वर्गों में विभाजित किया|

  • कार्ल मार्क्स मूलत: दार्शनिक व ऐंगल्स अर्थशास्त्री था|

  • कार्ल मार्क्स “मैं इतना जानता हूं कि मैं मार्क्सवादी नहीं हूं|”

  • मार्क्स पहला समाजवादी नहीं है, बल्कि पहला वैज्ञानिक समाजवादी है| 

  • मार्क्स के प्रयासों से पूरे विश्व में साम्यवादी क्रांति के प्रसार के लिए लंदन में 1864 में International Workingmen’s Association (IWA) का निर्माण किया, जो विश्व में प्रथम अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संघ के नाम से विख्यात है|

  • मार्क्स ने फायरबाख के भौतिकवाद की आलोचना करते हुए उससे भद्दा भौतिकवाद कहा है|

  • टेलर ने कार्ल मार्क्स की रचना द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो को बाइबल की भांति पवित्र कहा है|

  • कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो को साम्यवाद की बाइबल या सर्वहारा की बाइबल या श्रमिकों की बाइबिल भी कहा जाता है|

  • सर्वहारा का अधिनायकवाद शब्द में कार्ल मार्क्स ने अधिनायकवाद शब्द जनरल लुई यूजीन काबयाना से लिया है|1850 तक मार्क्स अधिनायकवाद के स्थान पर सर्वहारा का शासन शब्द इस्तेमाल करता था|

  • कार्ल मार्क्स सर्वहारा को पूंजीवाद का कब्रिस्तान कहता है|

  • रॉबर्ट ओवन ने 1827 में कोऑपरेटिव मैगजीन में सबसे पहले सोशलिस्ट या समाजवाद शब्द का प्रयोग किया था|

  • कार्ल कॉटस्की को मार्क्सवाद का पोप कहा जाता है| 



मार्क्सवाद से संबंधित विचारधाराए-

  1. परंपरागत मार्क्सवाद (Classical Marxism)-

  • समर्थक- लेनिन, ट्राटस्की, स्टालिन, रोजा लक्जमबर्ग, कार्ल कॉटस्की, माओ, फिदेल कास्त्रो आदि|


  • परंपरागत मार्क्सवाद के अन्य रूप-

  1. संशोधनवादी समाजवाद या विकासवादी समाजवाद (Evolutionary Socialism)-

  • समर्थक- एडवर्ड बर्नस्टाइन (जर्मनी)


  1. फेबियन वाद (U K)-

  • समर्थक- सिडनी वेब, ब्रिटिश वेब, ग्राहम वैलेस, हेराल्ड लॉस्की, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, एनी बेसेंट आदि| 


  1. श्रम संघवाद (Syndicalism)-

  • समर्थक- जॉर्ज सोरल (फ्रांस)


  1. श्रेणी समाजवाद-

  • समर्थक- G D S कॉल (U K)


  1. अराजकतावाद-

  • समर्थक- प्रौधां, मिखाइल बकुनिन, क्रोपोकटिन आदि| 


  1. नव मार्क्सवाद (Neo Marxist)-

  • नव मार्क्सवाद के प्रकार-

  1. आलोचनात्मक सिद्धांत-

  • फ्रैंकफर्ट स्कूल (जर्मनी) से संबंधित 

  • जनक- हरखाइमर

  • समर्थक- हरखाइमर, हरबर्ट मार्क्यूजे, थियोडोर एडोर्नी, एरिक फ्रॉम, हेबरमास, जार्ज ल्यूकॉच, वाल्टर बेंजामिन आदि|


  1. अस्तित्ववादी-

  • समर्थक- जीन पॉल सार्त्र


  1. संरचनावादी-

  • जनक- अल्थ्यूजर

  • समर्थक- लुई अल्थ्यूजर, निकोल्स पोलांजा, मोरिस गोडलियर

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