गांधीवाद व मार्क्सवाद-
समानता-
सामाजिक न्याय, राज्यविहीन समाज, मानवतावाद, शारीरिक श्रम का महत्व व अंतरराष्ट्रीयता के संबंध में दोनों में समानता पाई जाती है|
गांधीजी ने लिखा कि “मुझे स्वयं को गरीब से गरीब व्यक्ति के स्तर तक लाना है, पिछले 50 वर्ष या इससे अधिक वर्षों से मैं यही करने का प्रयास कर रहा हूं, इसी कारण में अग्रणी साम्यवादी होने का दावा करता हूं|”
गांधीजी ने मार्क्सवादी क्रांति के बजाय ट्रस्टीशिप का सिद्धांत दिया है, जो पूंजीपतियों के हृदय परिवर्तन पर आधारित है|
असमानताएं-
गांधी आध्यात्मिकवादी है, मार्क्स भौतिकवादी|
गांधी का धर्म में अटूट विश्वास था, लेकिन मार्क्स के अनुसार धर्म अफीम है|
गांधी वर्ग सहयोग पर बल देता है, जबकि मार्क्स वर्ग संघर्ष पर बल देता है|
किशोरीलाल मशरूवाला “गांधीवाद और मार्क्सवाद एक दूसरे से उतने ही भिन्न है, जितना हरा रंग, लाल रंग से भिन्न है|”
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