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निर्वाचन के संबंध में जॉन स्टूअर्ट मिल के विचार/ John Stuart Mill's views on elections || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

 निर्वाचन के संबंध में मिल के विचार-

  • मिल के अनुसार निर्वाचन पद्धति ऐसी हो, जिससे सरकार के संचालन के लिए सर्वश्रेष्ठ, बुद्धिमान और क्षमतावान व्यक्ति ही पहुंच सके|

  • मिल संसद के सदस्यों को जनता का प्रत्यायुक्त (Delegate) नहीं मानता है, क्योंकि श्रेष्ठतर बुद्धि के लोगों को कम प्रतिभाशाली जनता के अधीन रखा जाना उचित नहीं है|

  • मिल ने निर्वाचन की अनुपातिक प्रतिनिधित्व और बहुल मतदान (एक व्यक्ति को एक से अधिक मतदान) प्रणाली का सुझाव दिया है, क्योंकि मिल लोकतंत्र में बहुमत की निरंकुशता को लेकर चिंतित था तथा बहुमत अज्ञानी व अशिक्षित होता है, जबकि शिक्षित वर्ग व ज्ञानी वर्ग अल्पमत में होता है, इसलिए अल्पमत को प्रतिनिधित्व देने के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व और बहुल मतदान प्रणाली का समर्थन करता है|

  • मिल “शिक्षा पाने का लाभ तो मिलना चाहिए| कुशल श्रमिक को एक अतिरिक्त मत, फोरमैन को दो अतिरिक्त मत, लेखकों, कलाकारों, विश्वविद्यालय स्नातकों को पांच मत मिलने चाहिए|”

  • मिल सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार देने के पक्ष में नहीं है, वह केवल शिक्षित व संपत्तिवान लोगों को ही मताधिकार देना चाहता है|

  • मिल मताधिकार में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता है| महिला मताधिकार का समर्थन करता है मिल ने कहा कि “महिलाओं की अयोग्यता किसी भी प्रकार उनकी बौद्धिक प्रतिभा की कमी का लक्षण नहीं है, बल्कि उनकी सदियों की दासता का परिणाम है|” 

  • मिल बहुल मतदान का इसलिए समर्थन करता है, क्योंकि शिक्षित व्यक्तियों को अशिक्षित व्यक्ति की तुलना में कम से कम बराबर मत मिले|

  • प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक तथा अधिक से अधिक पांच मत देने का अधिकार हो, तथा विद्वान को मूर्ख से ज्यादा मत देने का अधिकार हो|

  • मिल ने खुले मतदान का समर्थन किया है|

  • द्विसदनीय संसद का समर्थन करता है| मिल के मत में एक सदन साधारण लोगों का प्रतिनिधि सदन हो तो दूसरा सदन राजनीतिज्ञों और ऐसे व्यक्तियों का सदन हो जिन्होंने प्रशासकीय और राजनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए हो|

  • मतदाताओं के लिए शिक्षा की योग्यता के साथ-साथ संपत्ति की भी योग्यता निर्धारित की जाय, क्योंकि संपत्तिवान व्यक्ति, संपत्तिहीन व्यक्ति की तुलना में अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से अपना मत का प्रयोग करता है| अतः मिल मताधिकार को शिक्षित, संपत्तिवान व कर देने वाले लोगों तक ही सीमित करना चाहता है|

  • व्यक्ति को मतदान करते समय न्यायधीश की भांति कार्य करना चाहिए|

  • वेपर के शब्दों में “मिल ने मतदान को एक कर्तव्य कहा है|”


  • मिल ने तीन समूहों को मताधिकार से वंचित करने की सलाह दी है-

  1. जो कर नहीं देते हैं|

  2. जो सरकारी अथवा सार्वजनिक सहायता पर निर्भर हैं| 

  3. शराबियों के समान नैतिक व कानूनी भटकाव वाले, अपराधी किस्म के लोग| 


  • मिल के मत में “राजकीय सहायता व्यक्ति के आत्मविश्वास के भाव को नष्ट कर देती है| यह उसके उत्तरदायित्व को दुर्बल बनाती है और चरित्र के विचार को कुंठित कर देती है|”


विधि या सहिंताकरण आयोग-

  • मिल के अनुसार प्रतिनिधि सभा (संसद) का कार्य शासन करना नहीं है, क्योंकि उसमें शासन करने की योग्यता नहीं है| उसका प्रमुख कार्य सरकार का निरीक्षण और नियंत्रण करना है| इसका कार्य विधि निर्माण भी नहीं है, क्योंकि यह विधि निर्माण की योग्यता नहीं रखती है| इसलिए विधि निर्माण का कार्य एक विशिष्ट आयोग को करना चाहिए, जिसके सदस्य लोक सेवा से संबंधित हो| विधि आयोग द्वारा निर्मित विधियों को पारित करने का कार्य प्रतिनिधि सभा संसद को करना चाहिए|

  • मिल के अनुसार प्रतिनिधि सभा यानी संसद को शिकायत समिति (A Committee of Grievances) और सम्मति सभा (A Congress of Opinion) के रूप में कार्य करना चाहिए|

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