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कार्ल मार्क्स के पूंजीवाद पर विचार // Karl Marx's views on capitalism || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

 मार्क्स के पूंजीवाद पर विचार-

  1. पूंजीवाद में व्यक्तिगत लाभ की दृष्टि से उत्पादन किया जाता है, न कि सामाजिक हित की दृष्टि से|

  2. पूंजीवाद में विशाल उत्पादन तथा एकाधिकार की प्रवृत्ति पाई जाती है|

  3. पूंजीवाद कृत्रिम आर्थिक संकटों का जन्मदाता है| जैसे-उत्पादित माल को नष्ट कर माल का कृत्रिम अभाव पैदा करता है|

  4. पूंजीवाद में अतिरिक्त मूल्य पर पूंजीपतियों का अधिकार होता है|

  5. पूंजीवाद में श्रमिक में वैयक्तिक चरित्र का लोप होकर उसका यंत्रीकरण हो जाता है| वह यंत्रों का दास बन जाता है| 

  6. पूंजीवाद श्रमिकों में असंतोष पैदा कर उन्हें एकता की ओर अग्रसर करता है|

  7. पूंजीवाद अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन का जन्मदाता है|

  8. पूंजीवाद का नाश निश्चित है|


  • कार्ल मार्क्स ने कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो में जहां एक तरफ पूंजीवाद का शोषणकारी व नकारात्मक पहलू पेश किया है, वहीं तीन कारणों के आधार पर इसकी प्रशंसा भी की है, जो निम्न है-

  1. उत्पादन के साधनों व तकनीक में क्रांतिकारी परिवर्तन-

  • कार्ल मार्क्स ने लिखा है कि “पूंजीवाद की शानदार उपलब्धियों के सामने मिस्र के पिरामिड, रोमन की नहरें और गोथिक भवन फीके पड़ गए हैं| इसने ऐसे अभियान चलाए हैं, जिनके सामने राष्ट्रों के सारे प्रसार और धर्म युद्ध कुछ भी नहीं है|”


  1. बहुराष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का प्रचार-

  • राष्ट्रीय सीमाओं के पार कच्चे माल व बाजार की खोज से बहुराष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का प्रसार होता है| 


  1. भौगोलिक सामीप्य व शहरी सभ्यता का विकास



Note- लास्की के अनुसार “कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो एक सर्वकालिक सर्वाधिक महत्वपूर्ण राजनीतिक अभिलेख है|” लास्की ने इस पुस्तक की तुलना 1776 के अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणा, सन 1789 के फ्रांसीसी अधिकारों की घोषणा से की है|

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