कौटिल्य के अमात्य संबंधित विचार-
कौटिल्य ने राज्य के समस्त उच्च अधिकारियों एवं मंत्रियों के लिए अमात्य शब्द का प्रयोग किया है|
अर्थशास्त्र के अनुसार तत्कालीन शासन के समस्त कार्य अमात्यो की मदद से किए जाते थे| अमात्य वर्ग वर्तमान की ‘सिविल सेवा’ से मिलता है|
कौटिल्य ने अमात्य पद पर नियुक्ति तथा नियंत्रण के लिए गुप्तचरो के माध्यम से चार परीक्षाओं (उपधा परीक्षण) का उल्लेख किया है-
धर्मोपधा
अर्थोपधा
कामोपधा
भयोपधा
कौटिल्य के अनुसार-
धर्मोपधा में उत्तीर्ण व्यक्ति को- न्यायधीश बनाना चाहिए|
अर्थोपधा में उत्तीर्ण व्यक्ति को- कोषाध्यक्ष या समाहर्ता बनाना चाहिए|
कामोपधा में उत्तीर्ण व्यक्ति को- विलास स्थानों तथा अंतपुर की रक्षा का कार्य दिया जाय|
भयोपधा में उत्तीर्ण व्यक्ति- राजा के अंगरक्षक बनाए जाय|
सबसे योग्य तथा सभी प्रकार की परीक्षाओं में उत्तीर्ण व्यक्ति को मंत्री बनाया जाय|
यदि कोई पुरुष इन सभी परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हो जाए, उसमें अन्य गुण मौजूद हो तो उसे खानों, जंगलों, हाथियों के प्रबंध का कार्य दिया जाय|
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