उपनिवेशवाद पर मार्क्स के विचार-
मार्क्स ने अपनी रचना Grundrisse में एशियाई समाजों की आरंभिक रूपरेखा प्रस्तुत की है|
मार्क्स ने ‘एशियाटिक मोड ऑफ प्रोडक्शन’ (उत्पादन की एशियाई प्रणाली) के अंतर्गत गैर पूंजीवादी समाजो (गैर यूरोपीय समाजो) में पूंजीवाद के विकास का विश्लेषण किया है|
गैर यूरोपीय (गैर पूंजीवादी) विश्व के बारे में मार्क्स के विचार हेगेल के समान है|
मार्क्स ने गैर यूरोपीय देशों के लिए उत्पादन की एशियाई प्रणाली शब्दावली का प्रयोग किया है|
मार्क्स के मत में एशियाई समाज गतिहीन है| अतः एशियाई समाजों में पूंजीवाद लाने के लिए उन्होंने उपनिवेशवाद को एक सकारात्मक प्रगतिशील शक्ति माना है| उपनिवेशवाद इन देशों में औद्योगिकरण करेगा, जिससे पूंजीवाद आएगा तथा वर्ग संघर्ष होगा|
परंतु मार्क्स ने उपनिवेशवाद का समर्थन नहीं किया है|
भारत की गुलामी व ब्रिटिश उपनिवेशवाद को भी कार्ल मार्क्स ने उपयोगी माना है, क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्यवाद औद्योगिकीकरण, तकनीकी विकास, सामाजिक परिवर्तन व वर्ग विभेद पैदा करेगा, जिससे साम्यवादी क्रांति होगी|
पर घरेलू उद्योग व हस्तशिल्प नष्ट करने के कारण उसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद को विनाशकारी भी माना है|
कार्य संबंधी मार्क्स के विचार-
कार्ल मार्क्स “कार्य उतना ही जरूरी है, जितना कि खाना|”
कार्ल मार्क्स “मनुष्य को सोचने से पूर्व खाना चाहिए, खाने हेतु उत्पादन करना होगा और उत्पादन एक मूल कार्यकलाप है|”
मार्क्स के अनुसार मानव Homo faber अर्थात Toll Maker है| इसका तात्पर्य है कि मनुष्य अपनी योग्यता से अपने भाग्य का निर्धारण स्वयं कर सकते हैं, जिस प्रकार टूल मेकर वस्तुओं का निर्माण करता है|”
कार्ल मार्क्स के अनुसार श्रम शक्ति, श्रमिक के मस्तिष्क, मांसपेशियों व नसों के बराबर है|”
मार्क्स के अनुसार “मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता उसके श्रम करने की क्षमता है|”
सेबाइन “मार्क्सवाद ऐसा यूटोपिया (आदर्शलोक) है, जो उदार व मानवीय है|”
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