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अरविंद के निष्क्रिय प्रतिरोध संबंधी विचार / Aurobindo's ideas on passive resistance || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

 निष्क्रिय प्रतिरोध संबंधी विचार-

  • अरविंद ने निष्क्रिय प्रतिरोध की प्रेरणा सिन-फिन आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों विशेषकर पारनेल से ली थी| 

  • अरविंद घोष ने निष्क्रिय प्रतिरोध को ‘रक्षात्मक प्रतिरोध’ भी कहा है|

  • अरविंद ने उदारवादियों की प्रार्थना, याचिका तथा विरोध की संवैधानिक पद्धति की आलोचना की तथा उसकी जगह निष्क्रिय प्रतिरोध की पद्धति का अनुकरण करने पर बल दिया|

  • अरविंद का निष्क्रिय प्रतिरोध शांतिपूर्ण उपायों से विदेशी सत्ता को चुनौती देने का साधन था| लेकिन वे गांधीजी की तरह पूर्णतया अहिंसा में आस्था नहीं रखते थे| इनके अनुसार जब सरकार निर्दयी हो तो हिंसा का प्रयोग किया जा सकता है| अर्थात निष्क्रिय प्रतिरोध गांधी के सत्याग्रह या सक्रिय प्रतिरोध का उल्टा है| 

  • अरविंद का मत था कि ब्रिटिश आर्थिक शोषण का निराकरण तभी संभव होगा जब भारतीय ब्रिटिश माल का बहिष्कार करें और स्वदेशी को अपनाएं| 

  • निष्क्रिय प्रतिरोध का मुख्य उद्देश्य सामान्य व संगठित अवज्ञा द्वारा कानूनों का उल्लंघन करना तथा ब्रिटिश सत्ता का विरोध करना| 

  • निष्क्रिय प्रतिरोध में अरविंद ने निम्न बातें शामिल की है-

  1. स्वदेशी का प्रचार और विदेशी माल का बहिष्कार

  2. राष्ट्रीय शिक्षा का प्रसार और सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार

  3. सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार

  4. जो सरकार का सहयोग करें, उसका सामाजिक बहिष्कार

  5. ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित संस्थाओं का बहिष्कार

  6. जनता द्वारा सरकार का असहयोग करना|

  7. निष्क्रिय प्रतिरोध ऐसे काम करने का त्याग करता है, जिससे प्रशासन चलाने में सहायता मिले|

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