Ad Code

रूसो की आलोचना / Criticism of Rousseau || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

 आलोचना-

  • सामान्य इच्छा सिद्धांत के कारण डयूगिट, टालमोन, अल्फ्रेड कोबान ने रूसो को आधुनिक निरंकुशवाद का संस्थापक कहते हैं| 

  • डयूगिट “रूसो जैकोबियन निरकुंशतंत्र व सीजेरीयन तानाशाही का जनक है, जिसने कॉट व हीगल के निरपेक्ष सिद्धांतों को प्रेरित किया है|” 

  • टालमोन (Talmon) ने अपनी कृति The origin of Totalitarian Democracy 1960 में लिखा है कि “रूसो बीसवीं शताब्दी के सर्वाधिकारवाद का बौद्धिक अग्रदूत है|” 

  • अल्फ्रेड कोबान “तानाशाही, सामान्य इच्छा के लोकतंत्रीय सिद्धांत का तार्किक एवं ऐतिहासिक परिणाम है|”

  • कॉन्स्टेंट ने रूसो को प्रत्येक प्रकार के अधिनायकवाद का सबसे भयानक मित्र कहा है|

  • लुसिओ कोलेटी ने अपनी पुस्तक From Rousseau to Lenin 1972 में लिखा है कि “रूसो का चिंतन पूंजीवाद व पूंजीवादी समाज का विवरण है|

  • नीत्शे ने अपनी महामानव (Superman) की अवधारणा में महामानव को सामान्य इच्छा का प्रतिनिधि बताया है| 

  • वाहन “रूसो ने अपनी समग्रतावादी अवधारणा द्वारा व्यक्ति की हैसियत को शून्य में बदल दिया है|”

  • वाल्टेयर ने रूसो की आलोचना करते हुए कहा है कि “रूसो हमें चारों पैरों पर चलवाना चाहता है|”



रूसो से संबंधित कुछ तथ्य-

  • रूसो ने एक आदर्श राज्य की जनसंख्या 10000 बताई है| 

  • जॉन्स के अनुसार मानव स्वभाव के संबंध में रूसो की धारणा प्लेटो और अरस्तू की धारणा से मेल खाती है|

  • डेनिंग के अनुसार डिसकोर्सेज का चित्रण तो ऐतिहासिक है, पर इमाइल का चित्रण दार्शनिक है|

  • पैटमेन के अनुसार रूसो कपटपूर्ण उदार सामाजिक अनुबंध का आलोचक है|

  • बर्क ने रूसो को राष्ट्रीय असेंबली का पागल सुकरात कहा है|

  • रूसो ने अपने लेख A Lasting Peace through the Federation of Europe 1974 में स्थाई शांति की स्थापना व युद्धों की रोकथाम के लिए यूरोपीय राष्टों को एक संघ के रूप में संगठित करने की सलाह दी थी|

  • सिबली का मत है कि रूसो को बहुआयामी राजनीतिक विविधताओ व अभिव्यक्तियों का पितामह कहा जा सकता है|”

  • वाहन “रूसो लोकवादी विचारों का विरोधी था, क्योंकि राज्य के खिलाफ वह व्यक्ति की कोई रक्षा नहीं करता है|”

  • रूसो की सामान्य इच्छा के उत्साह का महात्मा गांधी ने समर्थन किया है| 

  • कर्टिस के अनुसार रूसो का दर्शन बहुत ही व्यक्तिवादी है|

  • चैपमेन व रॉबर्ट देराथे रूसो को व्यक्तिवाद का महान चैंपियन बताते हैं| 

  • अल्फ्रेड कोबान “रूसो का राजनीतिक विचार पूरी तरह व्यक्तिवादी नहीं था, साथ ही व्यक्तिवादियों से अलग किसी समाज का अतिवादी चित्रण भी नहीं था|” 

  • निस्बेट “वास्तव में रूसो में एक ओर तो मूलवादी व्यक्तिवाद था और दूसरी ओर समझौताहीन प्रभुत्ववाद|"




हॉब्स, लॉक व रूसो के सामाजिक समझौते की तुलना-


हॉब्स

लॉक

रूसो 

1 मानव स्वभाव

स्वार्थी, झगड़ालू मनुष्य (नकारात्मक स्वभाव)

विवेकशील प्राणी         (सकारात्मक स्वभाव)

भोला-भाला भद्र पशु

(Noble savage)

2 प्राकृतिक अवस्था

क्षणभंगुर, अशांति युक्त जिसमें हमेशा मृत्यु का भय

शांति, सद्भावना, पारस्परिक सहयोग की अवस्था

सुख-शांति की अवस्था

3 प्राकृतिक अधिकार

जीवन रक्षा या आत्मरक्षा का अधिकार

जीवन, स्वतंत्रता व संपत्ति का अधिकार

सभी प्रकार की प्राकृतिक स्वतंत्रता

4 सामाजिक समझौते 

का कारण

जीवन रक्षा

प्राकृतिक अवस्था की असुविधाएं

संपत्ति के कारण  असमानता की उत्पत्ति

5 सामाजिक समझौते

केवल एक

दो सामाजिक समझौते

सामाजिक समझौता निरंतर चलता रहता है|

6 संप्रभुता का स्वरूप

निरंकुश संप्रभुता

सीमित संप्रभुता

लोकप्रिय संप्रभुता

7 विरोध का अधिकार

विरोध का अधिकार नहीं है

क्रांति या विरोध का अधिकार है|


सामान्य इच्छा व्यक्ति की ही आदर्श इच्छाओं का योग है अतः स्वयं की इच्छा का विरोध नहीं किया जा सकता|

Close Menu