86 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2002
आज के इस लेख के माध्यम से हम 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 को निम्नलिखित प्रश्न के माध्यम से विस्तारपूर्वक समझेंगे, अर्थात यह संशोधन कब पारित हुआ, संविधान में किस-किस भाग में कौन-कौन से संशोधन हुए, कब हुए आदि समझेंगे|
प्रश्न- ‘जो माता-पिता या संरक्षक हो, वह 6 से 14 वर्ष के बीच की आयु के यथास्थिति, अपने बच्चे अथवा प्रतिपाल्य को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करेगा|’ निम्नलिखित मौलिक कर्तव्य संविधान में कब अंत:स्थापित किया गया?
1 अप्रैल 2002
1 अप्रैल 2003
1 अप्रैल 2009
1 अप्रैल 2010
यहां आपका उत्तर 1 अप्रैल 2002 या 1 अप्रैल 2003 हो सकता है, क्योंकि आप सभी को ज्ञात है कि निम्न अंतिम मौलिक कर्तव्य 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा जोड़ा गया था, लेकिन इस प्रश्न का सही उत्तर 1 अप्रैल 2010 होगा| ऐसा क्यों? चलो इसको विस्तार से समझते हैं|
व्याख्या-
86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा संविधान में मौलिक अधिकार भाग-3, नीति निर्देशक तत्व भाग-4, मौलिक कर्तव्य भाग-4 ‘क’ के अंतर्गत संशोधन किया गया था|
इस संविधान संशोधन के द्वारा मौलिक अधिकार 21A व अंतिम मौलिक कर्तव्य को अंत:स्थापित व नीति निदेशक तत्व 45 को प्रतिस्थापित किया गया|
यहां अतःस्थापित का अर्थ है नए सिरे से जोड़ा गया, वहीं प्रतिस्थापित का अर्थ है पहले से शामिल प्रावधान में परिवर्तन करना|
86 वां संविधान संशोधन अधिनियम 12 दिसंबर 2002 को पारित हुआ था|
इस संशोधन को लागू करने के लिए ‘राइट टू एजुकेशन एक्ट’ 2009 संसद द्वारा बनाया गया, जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ|
अनुच्छेद 21 A ‘शिक्षा का अधिकार’ (मौलिक अधिकार)
86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 की धारा 2 द्वारा (1-4-2010) से अधिसूचना की तारीख से अंत:स्थापित किया गया, अर्थात 1 अप्रैल 2010 को संविधान में अनुच्छेद 21 A को जोड़ा गया|
अनुच्छेद 21 A प्रावधान करता है कि ‘राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा|’
अर्थात यह राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करता है|
अनुच्छेद 45 ‘प्रारंभिक शैशवावस्था की देखेख 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए शिक्षा का प्रावधान (नीति निर्देशक तत्व)
86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 की धारा 3 द्वारा (1-4-2010 से) प्रतिस्थापित किया गया| अर्थात 1 अप्रैल 2010 को परिवर्तित किया गया|
अनुच्छेद 45 प्रावधान करता है कि ‘राज्य प्रारंभिक शैशवावस्था की देखरेख और सभी बालकों को उस समय तक जब तक कि वे 6 वर्ष की आयु पूर्ण न कर ले शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास करेगा|’
Note- इस अनुच्छेद में पहले 6 से 14 वर्ष की आय के बच्चों के लिए शिक्षा का प्रावधान था| संशोधन के द्वारा शैशवावस्था की देखरेख व 6 वर्ष आयु तक की शिक्षा का प्रावधान प्रतिस्थापित (परिवर्तन) किया गया|
इसमें शैशवावस्था की देखरेख और 6 वर्ष तक की शिक्षा प्रदान करने का राज्य को निदेश दिया गया है|
अनुच्छेद 51 ‘क’ (‘ट’ या अंतिम मौलिक कर्तव्य)
86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 की धारा-4 के द्वारा (1-4-2010) से अंत:स्थापित किया गया, अर्थात 1 अप्रैल 2010 को संविधान में जोड़ा गया|
यह प्रावधान करता है कि ‘जो माता-पिता या संरक्षक हो, वह 6 से 14 वर्ष के बीच की आयु के यथास्थिति, अपने बच्चे अथवा प्रतिपाल्य को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करेगा|’
अर्थात इसमें 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का माता-पिता या संरक्षक के लिए कर्तव्य निर्धारित किया गया है|
Notes available for RPSC School lecturers and UGC-Net Political Science Subject 9660895656
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