केनेथ ऐरो का असंभाव्यता प्रमेय मॉडल-
पुस्तक- Social Choice and Individual Values 1951
इस मॉडल के अनुसार जहां दो से अधिक विकल्पों में लोकतांत्रिक चुनाव करना हो, वहां परिणाम संभवत उस प्रक्रिया से प्रभावित होगा, जिसका प्रयोग विकल्प चुनने के लिए किया गया हो|
केनेथ ऐरो के अनुसार कोई भी मतदान प्रणाली सभी वांछित शर्तों को एक साथ पूरा नहीं कर सकती|
मुख्य शर्त जैसे-
सर्वसम्मति का नियम-
अगर सभी मतदाता किसी एक विकल्प को दूसरे से बेहतर मानते हैं, तो अंतिम परिणाम में भी वही बेहतर विकल्प होना चाहिए|
सार्वभौमिकता-
मतदाता किसी भी क्रम में अपनी पसंद व्यक्त कर सकें और यह मान्य हो|
असंबद्ध विकल्पों की स्वतंत्रता-
यदि दो विकल्पों के बीच निर्णय लेना हो, तो किसी तीसरे विकल्प के आने या हट जाने से दोनो विकल्पों के बीच परिणाम नहीं बदलना चाहिए|
अधिनायकवाद का अभाव
किसी एक व्यक्ति की पसंद ही हमेशा अंतिम निर्णय न बन जाए|
संगतता / पारगमनता (Transitivity / Consistency)
समाज की पसंद में संगतता/ पारगमनता होनी चाहिए|
इन सभी शर्तों को एक साथ पूरी करने वाली कोई भी मतदान प्रणाली संभव नहीं है अर्थात, लोकतंत्र में “संपूर्ण न्यायपूर्ण” (Perfectly Fair) मतदान प्रणाली असंभव है।
सभी मतदाताओं की पसंद अलग-अलग उम्मीदवार (वरीयता क्रम में) होते हैं, अत: यहाँ एक ‘चक्रीय विरोधाभास’ (Cycle Paradox) पैदा हो जाता है| यानी समाज की सामूहिक पसंद ‘संगत’ (consistent) नहीं रहती|
केनेथ ऐरो के अनुसार लोकतंत्र में मतदाताओं की व्यक्तिगत पसंद को जोड़कर एक ‘संपूर्ण और तर्कसंगत सामूहिक निर्णय’ बनाना असंभव है| इसलिए हर चुनावी प्रणाली में कुछ न कुछ कमी रहेगी|
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