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कौटिल्य के मंत्रिमंडल के संबंध में विचार/ Thoughts regarding Kautilya's cabinet || By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

 कौटिल्य के मंत्रिमंडल के संबंध में विचार

  • कौटिल्य ने राज्य-कार्य के सफल संचालन के लिए मंत्रियों की आवश्यकता एवं महत्व को स्वीकारा है|


मंत्रिमंडल का संगठन-

  • सदस्य संख्या

  • राजा अपनी आवश्यकतानुसार मंत्रियों की संख्या निश्चित करें (सदस्य संख्या निश्चित नहीं)

  • किंतु कम से कम 5 मंत्री होने चाहिए

  • राजा को तीन या चार मंत्रियों से गुप्त मंत्रणा करनी चाहिए| 


मंत्रिमंडल के प्रकार- कौटिल्य ने दो प्रकार की मंत्रिपरिषद बतायी है-

  1. मंत्रीपरिषद- एक बड़ी संस्था, सभी मंत्री मंत्रीपरिषद सदस्य होते हैं|

  2. मंत्रपरिषद- एक छोटी संस्था, जिसके 3 या 4 सदस्य होते हैं, जिनसे राजा गुप्त मंत्रणा करता है| यह एक अधिक शक्तिशाली संस्था है| 


  • चार मुख्य मंत्रिपरिषद के सदस्य- 

  1. महामात्य/ मंत्री- यह राजा को मंत्रणा देता है|

  2. पुरोहित- यह राजा को धर्म व नीति संबंधी परामर्श देता है| यह राजा को नैतिक जीवन व्यतीत करने में मदद देता था|

  3. सेनापति- यह सेना का सर्वोच्च अधिकारी था|

  4. युवराज- यह राजा का ज्येष्ठ अथवा कोई अन्य पुत्र होता था, जिसे राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित


  • मंत्री पद पर सभी विधाओं में उत्तीर्ण अमात्य को पदोन्नत किया जाता था|

  • मंत्री अमात्य/ महामात्र- यह सभी मंत्रियों से श्रेष्ठ होता था तथा आधुनिक प्रधानमंत्री पद के समान था|

  • मंत्रियों का कार्यकाल राजा की कृपा पर निर्भर था|

  • वेतन- प्रधानमंत्री/ महामात्र/ मंत्री अमात्य को 48000 पण वार्षिक तथा अन्य मंत्रियों को 12000 पण वार्षिक


  • मंत्रीपरिषद के कार्य- 

  1. राज्य के आंतरिक व बाह्य विषयों पर विचार करना|

  2. राजा को परामर्श देना|

  3. राज्य कार्यों को लागू करना, पूर्ण करना, समीक्षा करना|

  4. राजा व राज्य के समस्त गुप्त भेदो की रक्षा करना|

  5. ऐसे प्रयत्न करना कि राजा, राज्य कर्तव्य से विमुख ना हो|


  • Note- कौटिल्य मंत्रियों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर करने के पक्ष में है, ना कि वंश परंपरा के आधार पर|

  • Note- मंत्रीपरिषद का कार्य केवल विशेषज्ञ राय देना था, इनकी सलाह राजा के लिए बाध्यकारी नहीं थी|

  • Note- कौटिल्य मंत्रणा की गोपनीयता पर विशेष बल देता है| कौटिल्य मंत्रणा स्थल के आसपास स्त्रियों, पशु-पक्षियों को दूर रखने की कहता है|

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