श्री अरविंद के पांच स्वपन-
एक ऐसा आंदोलन हो, जो एक स्वतंत्र एवं संगठित भारत बनाएं|
एशिया के लोग स्वतंत्र होकर उभरे तथा भारत मानवीय सभ्यता की प्रगति में अपनी भूमिका निभाए|
मानव जाति के लिए अपेक्षाकृत अधिक न्याय संगत, अधिक उज्जवल तथा अधिक उत्कृष्ट आधार पर विश्व संघ की स्थापना हो
संसार को भारत का अध्यात्मिक उपहार प्राप्त हो|
विकास की ओर एक नए चरण का प्रारंभ हो, जिसमें व्यक्ति उच्चतर रूप की चेतना प्राप्त करें, ताकि संसार की सभी समस्याओं का समाधान हो तथा एक संपूर्ण व्यक्ति एवं संपूर्ण समाज का व्यक्ति का स्वपन पूरा हो|
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